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३८. भाषण: फ्रीडडॉर्पमें'

[जोहानिसबर्ग
अप्रैल २७, १९१३]

श्री गांधीने, जो फीनिक्ससे विशेष रूपसे इसी प्रयोजनसे आये थे, विधेयकका मन्शा और उद्देश्य समझाने के बाद कहा, मुझे आशा है कि सरकार हमारी नम्र प्रार्थना मंजूर कर लेगी। परन्तु यदि वह स्वीकार नहीं करती, तो उस स्थितिमें याचिका आदिके दूसरे सभी उपायों के विफल होनेपर हमें सत्याग्रहका सुपरीक्षित अस्त्र उठाना पड़ेगा। यह तीसरा आन्दोलन होगा, और मुझे कोई सन्देह नहीं है कि यह सबसे शानदार भी होगा, हालाँकि इसमें पहलेको अपेक्षा कहीं अधिक कष्ट सहन करना होगा और यह लम्बी अग्नि-परीक्षा होगी। परन्तु हम स्वाभिमानी हैं, और इससे बचनेकी कोशिश नहीं कर सकते। अपनी नारी-जातिके सम्मानके लिए, अपने धर्मके लिए और अपनी जन्म-भूमिके सुयशके लिए हमें हर तरहका खतरा उठानेको तैयार रहना चाहिए। हम न अपनेको और न सरकारको धोखा देना चाहते हैं। श्री गांधीने कहा कि यह स्पष्ट है कि भावी आन्दोलनमें सैकड़ों लोगोंके जेल जानेकी बात नहीं सोची जा सकती। परन्तु मुझे मालूम है कि संख्याको दृष्टिसे जो कमी होगी वह थोड़े-से लोगोंकी ईमानदारी और अपराजेय इच्छा-शक्तिसे पूरी हो जायेगी। जो लोग जेल-जीवनके कष्ट नहीं सह सकते, वे भी आन्दोलनमें हाथ बँटा सकते हैं। वे सभाएं कर सकते हैं, चन्दा इकट्ठा कर सकते हैं, और अपना समय देकर जेल जानेवालोंके परिवारोंकी देखभाल कर सकते हैं। ऐसा काम भी जरूरी होगा। संसारका कोई भी देश एक ही बारमें अपने सारे बच्चोंको युद्धके मैदानमें नहीं भेज सकता। फिर हमारी सेना तो एक शान्ति-सेना है। यद्यपि हम फौजी शब्दका प्रयोग करते हैं, किन्तु सैनिकसे हमारी समानता उसी हद तक है, जिस हद तक वे स्वयं ही कष्ट-सहन करते हैं। एक सच्चा सत्याग्रही दूसरोंको कभी चोट नहीं पहुंचा सकता। उसके इरादे कभी भी बदलेकी भावनाके नहीं होते। ऐसी सेनामें पूरा समाज शामिल हो जायेगा, ऐसी उम्मीद करना सम्भव नहीं है। परन्तु युद्ध के मैदानमें सच्चे सत्याग्रही चाहे पाँच सौ हों, चाहे पचास, चाहे पाँच और चाहे केवल एक ही, विजय हमारी है। ।

प्रस्ताव

ब्रिटिश भारतीयोंकी यह आम सभा ब्रिटिश भारतीय संघकी समिति द्वारा सरकारके प्रवासी विधेयकके विरुद्ध अपनी आपत्तियाँ भेजनेका अनुमोदन करती है। यह

१. ब्रिटिश भारतीय संवको एक सभा फ्रीडडॉर्प, जोहानिसबर्गके एक निकटवर्ती कस्बेमें प्रवासी विधेयकपर विचार करनेके लिए हुई थी । इसके अध्यक्ष श्री अ० मु० काछलिया थे। उनके भाषणके पाठके लिए, जो बादमें गवर्नर-जनरलको भेजा गया था, देखिए परिशिष्ट ४ ।

२. यह प्रस्ताव सर्वसम्मतिसे पास हुआ था ।