अब विवाहित लोगोंको ब्रह्मचर्य पालनका उपाय' बताकर हम इस प्रकरणको, जो कि अपेक्षासे अधिक लम्बा हो चुका है, समाप्त करेंगे। केवल हवा और पानीके नियमोंका पालन करनेसे विवाहित स्त्री-पुरुष ब्रह्मचर्यका पालन नहीं कर सकेंगे। उन्हें तो अपनी स्त्रीके साथका एकान्त सेवन ही छोड़ देना चाहिए। विचारपूर्वक देखा जाये, तो अपनी पत्नीके साथ विषय भोगके अलावा एकान्तकी कोई आवश्यकता ही नहीं होती। रात्रिके समय स्त्री और पुरुषको जुदा-जुदा कमरों में सोना चाहिए। दोनोंको दिनमें अच्छे कार्यों और अच्छे विचारों में निरन्तर व्यस्त रहना चाहिए। अपने सुविचारोंको प्रोत्साहन मिल सके, ऐसी पुस्तकें पढ़नी चाहिए और ऐसे पुरुषों के चरित्रोंका मनन करना चाहिए, और बराबर यही विचार करते रहना चाहिए कि भोगोंमें दुःखको छोड़कर और कुछ है ही नहीं । जब-जब किसीके मन में विषयकी इच्छा उठ आये तब-तब उसे ठंडे जलसे स्नान कर लेना चाहिए। ऐसा करनेसे शरीरकी यह कामाग्नि कोई अन्य अच्छा रूप धारण कर लेगी और यह पुरुष और स्त्री, दोनोंके लिए, हितकर होगा। ऐसा करनेसे उनके सच्चे सुखमें वृद्धि भी होगी। यह सब करना अत्यन्त कठिन है, किन्तु कठिनाइयोंपर विजय प्राप्त करने के लिए ही तो हम लोगोंका जन्म हुआ है। जिन्हें स्वास्थ्य प्राप्त करना है, उन्हें तो ऐसी-ऐसी कठिनाइयोंपर विजय पानी ही होगी।
३७. तार : गुल और गुलमुहम्मदको
[जोहानिसबर्ग
अप्रैल २६, १९१३ के बाद]
आशा है आप प्रवासी विधेयकके विरुद्ध आपत्ति पेश करेंगे। विधेयककी। बहसका विवरण पढ़ा जिसमें कहा गया है भारतीय आम तौरसे इसे मंजूर कर लेंगे।
गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५७७२) की फोटो-नकलसे।