पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/७७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३५. नया विधेयक

सम्भव है कि इस टिप्पणीके लिखे जानेके पहले ही विधेयकके सम्बन्धमे ओर भी समाचार मिल गये होंगे। इस समय तो ऐसा दिखाई देता है कि विधेयक कुछ ऐसे कारणों से, जो हमारे संघर्षसे सम्बद्ध नहीं है, रद हो जायेगा। जनरल बोथाके खेमे में फूट पड़ गई है। जनरल हर्टसॉगके समर्थकोंने लड़नेका अपना इरादा जाहिर कर दिया है। उन्होंने ब्लूमफाँटीनमें एक सभा करके जनरल हर्टसॉगके समर्थनमें एक प्रस्ताव पास किया। इसलिए इसकी सम्भावना अब कम ही दिखाई देती है कि ऑरेंज फ्री स्टेटके सदस्य जनरल बोथाका समर्थन करेंगे। केपमें भी. कुछ सदस्य जनरल हर्टसॉगकी सहायता करेंगे ही। कुछ-एक ट्रान्सवाल में भी होंगे। तब जनरल बोथ (केवल) अपने दलके बलपर राज्य चला सकेंगे, ऐसा नजर नहीं आता। अगर वे यूनियनिस्ट (संघवादी) पक्षका समर्थन प्राप्त करनेकी कोशिश करेंगे तो यह न केवल उनके लिए शर्मकी बात होगी, वरन् इससे जनरल हर्ट- सॉगकी शक्ति और भी बढ़ जायगी तथा बोअरोंमें जनरल बोथाका समर्थन करनेवाले व्यक्ति बहुत ही कम रह जायेगे। बहुत-से लोगोंका खयाल है कि ऐसी कठिन परिस्थितिमें जनरल बोथाके हाथमें राज्यकी बागडोरका रहना सम्भव नहीं है। अगर यह खयाल ठीक हो तो इसके दो परिणाम हो सकते हैं। एक तो यह कि जनरल बोथा वर्तमान संसदको भंग करवाकर फिरसे चुनाव करायें। दूसरा यह कि वे जनरल हर्टसॉगके पक्षकी समस्त माँगें स्वीकार कर लें। दोनों स्थितियोंमें इसकी सम्भावना बहुत कम है कि यह संसद कुछ काम कर सकेगी। समाचारपत्रोंका भी यह कहना है कि जनरल हर्टसॉगके समर्थकोंने दो आपत्तियाँ उठाई है। एक तो यह कि आजतक जूलू लोगोंके घनिष्ठ मित्र समझे जानेवाले तथा उनके हितोंका ध्यान रखनेवाले श्री सावरको जनरल बोथाने जूलू मामलोंका मन्त्री नियुक्त किया है; और दूसरा यह कि उन्होंने साम्राज्यीय सरकारके विचारोंका ध्यान रखते हुए भारतीयोंको राहत देनेका निश्चय किया है। इस प्रकार हम भी उनके बीच झगड़ेका एक कारण बन गये हैं। इसमें हमारे लिए खुश होनेकी कोई बात नहीं; क्योंकि उपर्युक्त कारण तो एक बहाना-भर है। अनजान बोअर लोगोंका इस बातसे भ्रममें पड़ जाना सम्भव है। लेकिन इन दोनों बातोंमें सत्यका अंश अवश्य है। किन्तु ऐसा होनेपर भी इसमें न तो अपना और न ही जूल लोगोंका भला है। श्री सावर मन्त्री होकर जूलू लोगोंको गाड़ी-भर धन दे देंगे, ऐसी बात नहीं है और जनरल बोथा साम्राज्यीय सरकारको खुश करने के लिए हमें राज्य सौंप देंगे, सो बात भी नहीं है। वे हमें क्या देनेको तैयार हैं, यह तो हमने देख लिया है। लेकिन जनरल बोथाने हमारे सम्बन्धमें साम्राज्यीय सरकारको जो मीठा वचन दिया है, उसे जनरल हर्टसॉगके समर्थक जान-बूझकर जनरल बोथाके विरुद्ध इस्तेमाल कर रहे है। इसलिए सबसे हमें कोई लाभ होनेकी आशा नहीं है। और अगर जनरल हर्टसॉगके हाथमें सत्ता आ भी जाये तो हमें उससे थोड़ी-बहुत भी प्राप्ति होनेवाली नहीं है। हमें तो उतना