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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


पड़ेगा। जहाँतक मैं जानता हूँ, हम आर्थिक सहायताके लिए भारतकी जनतासे अपील न करेंगे। यदि मुझसे व्यक्तिगत रूपसे परिचित लोग कुछ भेजना चाहेंगे तो मैं उस सहायताको कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार कर लूंगा। हमारी योजना दक्षिण आफ्रिकामें घर-घर जाकर धन माँगनेकी होगी। मेरा खयाल है, उससे हमें इतना धन मिल सकेगा कि जेलसे बाहर रहने की अवधि में उससे हमारे खाने-पहननेकी समस्या हल हो जायेगी। मैं आपसे भी प्रार्थना करता हूँ कि आप भी चन्देके लिए कोई सार्वजनिक अपील न करें।[१] अभी मेरे पास ३०० पौंड बचे हैं। इन्हें मैं संकट-कालके लिए बहुत संभाल कर रखे हूँ। महिलाओं-सहित फीनिक्स बस्तीके ज्यादातर निवासी संघर्ष में शामिल होंगे। स्त्रियाँ यह अनुभव करती है कि वे अब जेल जाये बिना नहीं रह सकती; फिर आफ्रिका जैसी जगहमें उसका परिणाम चाहे कुछ भी हो। श्रीमती गांधीने स्वतः ऐसा प्रस्ताव किया है[२] और मैं उन्हें रोकना नहीं चाहता। श्रीमती गांधीके इस इरादेकी बात अभी.जाहिर नहीं की गई है। आप भी कृपा करके इसकी चर्चा फिलहाल कहीं न करें।

मुझे आशा है, आप लन्दन-समितिके[३] लिए जो-कुछ कर सकेंगे, अवश्य करेंगे। जैसा मैंने वचन दिया था, मैं चन्दा जमा करने में जुटा हुआ हूँ। अपने पास एक अच्छी रकम जमा होते ही मैं उसे आपके पास भेज दूंगा। हमने मॉड पोलकको[४] इस महीनेसे रुपया भेजना बन्द कर दिया है।

मॉडने अपनी दक्षिण आफ्रिका-यात्राके सम्बन्धमें जो व्यवहार किया है, सम्भवतः उसके बारेमें वह आपसे बातचीत करेगी। मैंने उसे लिखा था[५] कि उसने मुझे धोखा दिया और आपको भी। हमारे बहुत घनिष्ठ सम्बन्धोंके टूट जानेपर भी वह समितिमें अपना काम सन्तोषजनक रूपसे कर रही है। उसका खयाल है कि वह महज़ गलतफहमीका शिकार हो गई है। मैं इसपर विश्वास करनेके लिए तैयार नहीं हूँ और मैने उससे ऐसा कह भी दिया है। काश, मैं आपको दुःखजनक स्मृतियों से बचा सकता। लेकिन मॉडके और मेरे बीच जो कुछ हुआ है, उसे आपको बतानेके लिए मैं बाध्य था।

आप अपने स्वास्थ्य के बारेमें, और जो चिकित्सा आप करा रहे हैं उसके विषयमें एक पंक्ति लिख सकें तो आभारी होऊँगा। क्या आप जुस्टकी गँगबॉर्न और कुनेकी संस्थाको देखने के लिए कुछ समय निकाल सकेंगे?

हृदयसे आपका,
मो० क़ गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल अंग्रेजी प्रति (सी० डब्ल्यू० ९२६) से । सौजन्य : सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी।

  1. १. इस विषयपर श्री गोखलेके विचारके लिए देखिए दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय ३८ ।
  2. २. देखिए " कस्तूरबा गांधीले बातचीत", पृष्ठ ३० ।
  3. ३. दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति ।
  4. ४. श्री एच० एस० एल० पोलककी बहन; वे पहले दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिको अवैतनिक सहायक मन्त्राणी थीं ।
  5. ५ .यह पत्र उपलब्ध नहीं है।