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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

अक्तूबर ३ : ईस्टकोर्ट में भारतीय आहत सहायक दलका शिविर स्थापित। गांधीजीने सदस्योंको “चुने हुए उच्च श्रेणीके फलों तथा विभिन्न गरी फलोंका विशेष प्रकारका दोपहरका भोज दिया।

अक्तूबर ६ : विशीमें आराम उपचार करनेके बाद गोखले लन्दन लौटे।

अक्तूबर १३ : कर्नल बेकरको लिखे एक पत्रमें भारतीय समितिकी सलाह लिए बिना कार्पोरलोंकी नियुक्तिके लिए दुःख प्रकट किया; उसीके आधारपर समिति में एक प्रस्ताव पास किया गया।

अक्तूबर १४: प्रस्ताव कर्नल बेकरके पास भेजा गया।

अक्तूबर २३ : आहत सहायक दलकी बैठक ।

अक्तूबर २५ : मगनलाल गांधीको लिखा: “मुझे भारत कार्यालयके विरुद्ध सत्याग्रह प्रारम्भ करना है।” गांधीजी बीमार, विश्राम करनेकी सलाह।

अक्तूबर ३१ : कर्नल बेकर द्वारा भारतीय समितिसे सलाह लेनेका सिद्धान्त स्वीकार।

गांधीजी ने लिखा: “सत्याग्रह समाप्त; जो हम चाहते थे वह हमें मिल गया।

नवम्बर ३ : गांधीजी बीमारीके बाद पहली बार उठे; थोड़ी दूर तक घूमना प्रारम्भ।

नवम्बर ४ : अखबारोंके जरिये आहत सहायक दलके लिए स्वयंसेवकोंकी माँग।

फीनिक्स दल गुरुकुल कांगड़ी से शान्तिनिकेतन पहुँचा।

नवम्बर ९: गांधीजी के साथी तथा सत्याग्रही, गैब्रियल तथा इसाककी मृत्यु।

नवम्बर ११ के पूर्व : गांधीजीने दलके साथ सप्ताहान्त ईस्टकोर्टके शिविर में बिताया।

'इंडियन ओपिनियन' ने सूचना दी कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष पदके लिए गांधीजीका नाम उम्मीदवारोंमें शामिल है।

नवम्बर १३ : गोखले बम्बई पहुँचे, सूचना मिली कि आहत सहायक दल साउदैम्टनके पास मेटले अस्पतालमें कार्य कर रहा है।

नवम्बर २६ : गांधीजी फिरसे बीमार; गोखलेको लिखा: “ मैं किसी भी शर्तपर रहना नहीं चाहता।

दिसम्बर १ : 'इंडियन ओपिनियन'का स्वर्ण अंक प्रकाशित।

दिसम्बर ४ : गांधीजी अब भी बीमार, बिस्तरकी शरण में।

दिसम्बर १८ : रायटरको भेंट दी; भारत रवाना होनेकी शामको वेस्टमिन्स्टर पैलेस हॉटलमें विदाई भोज।

दिसम्बर १९ : कस्तूरबाके साथ भारतके लिए जहाजसे रवाना, जहाजमें बँगलाकी पढ़ाई।

दिसम्बर २८-३० : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसका मद्रासमें अधिवेशन।