जुलाई १८ : केपटाउन पहुॅचे; मानुमेंटसे डॉक्स तक जलूसमें ले जाये गये; अभिनन्दन पत्र भेंटमें उपलब्ध; 'केप आर्गस' ने भेंट ली। दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंको लिखा विदाई-पत्र प्रकाशनके लिए दिया, इंग्लैंडके लिए रवाना; 'किनफॉन्स- कैसिल' जहाजमें सवार।
जुलाई २० : गांधीजीका विदाई-पत्र अखबारों में प्रकाशित।
जुलाई २२ : संघर्षकी यादगारमें 'इंडियन ओपिनियन'का 'स्वर्ण अंक' प्रकाशित करनेकी योजना घोषित।
जुलाई २४ : 'संघ गजट' में भारतीय राहत-अधिनियमके अन्तर्गत विवाहोंके पंजीयनके सम्बन्धमें विनियम प्रकाशित।
जुलाई २८: प्रवासी अधिनियम के अन्तर्गत आगेके विनियम 'गज़ट' में प्रकाशित।
अगस्त २: जर्मनी द्वारा बेल्जियमकी तटस्थताका उल्लंघन।
अगस्त ३ : मगनलालके नेतृत्व में भारत जानेवाले फीनिक्स दलको डर्बनमें विदाई।
अगस्त ४: विश्वयुद्ध प्रारम्भ; इंग्लिश चैनलमें गांधीजीको समाचार उपलब्ध, लन्दन पहुँचे।
अगस्त ५: वाइसराय द्वारा युद्ध घोषणा।
अगस्त ७ : छगनलालको लिखे एक पत्र में गांधीजी द्वारा टाँगकी पुरानी पीड़ासे फिर पीड़ित होनेकी शिकायत।
अगस्त ८ : अंग्रेज तथा भारतीय मित्रों द्वारा होटल सेसिलमें गांधीजीका स्वागत; उप- स्थित होनेवालों में जिन्ना, लाला लाजपतराय, सरोजिनी नायडू भी।
अगस्त १०: नेटाल भारतीय कांग्रेस तथा हमीदिया इस्लामिया अंजुमनका शिनाख्तकें लिए सरकार द्वारा फोटो माँगनेका विरोध।
अगस्त १३ : साम्राज्यकी बिना शर्त सेवा करनेके निश्चयको दृढ़ करते हुए गांधीजी, कस्तूरबा तथा सरोजिनी नायडूके हस्ताक्षरोंसे समर्थकों के हस्ताक्षर प्राप्त करने के लिए एक परिपत्र जारी।
अगस्त १४: गांधीजी द्वारा घायलोंकी शुश्रूषाके लिए एक भारतीय स्वयंसेवक दल खड़ा करनेका प्रस्ताव।
अगस्त १४ के बाद: गांधीजीकी अध्यक्षता में भारतीय स्वयंसेवक समितिकी स्थापना।
अगस्त २४: गांधीजी द्वारा दलमें कैलेनबैकको शामिल करनेके बारेमें भारत कार्यालयसे पूछताछ।
अगस्त २६ के पूर्व : घायल सैनिकोंकी शुश्रूषाके लिए कक्षामें जाना प्रारम्भ।
सितम्बर ३ : प्राथमिक सहायता परीक्षा में बैठे।
सितम्बर १८: गोखलेसे लन्दनमें मिले।
सितम्बर २२ : स्वयंसेवकोंके लिए अपील करते हुए सामान्य परिपत्र जारी किया।
अक्तूबर १ : स्वेच्छा-सहायक दलकी बैठककी अध्यक्षता; अन्य लोगोंके साथ आगाखां,
कस्तूरबा, सरोजिनी नायडू तथा अमीर अली भी उपस्थित।