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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

सम्बन्ध में रायटर द्वारा की गई भविष्यवाणीपर अपने विचार भेजनेके लिए गांधीजीको तार दिया; प्रार्थना की कि समितिसे सलाह लिए बिना कोई वादा न करें।

मार्च १७ : आयोगकी रिपोर्ट संसदमें पेश । राबर्ट्सन भारत जाते हुए डेलागोआ-बेके लिए रवाना। वाइसरायका जाँच आयोगके विषयपर शाही विधान परिषद्में भाषण।

मार्च १९ : दक्षिण आफ्रिकाके लिए नियुक्त बम्बई समिति द्वारा आयोगकी सिफारिशोंपर सन्तोष व्यक्त, आशा व्यक्त की कि सत्याग्रह पुनः प्रारम्भ नहीं किया जायेगा।

मार्च २२ : ट्रान्सवालके मुसलमानोंकी सभा द्वारा मुस्लिम विवाहोंके प्रश्नपर सॉलो- मन आयोग की सिफारिशोंकी निन्दा; हमीदिया इस्लामिया अंजुमनने भारत- मन्त्री तथा अन्योंको तार दिया कि सिफारिशें वर्मका उल्लंघन करती हैं।

मार्च २३ : स्मट्सने विधान सभामें घोषणा की कि सरकार आयोगकी रिपोर्टपर विचार कर रही है और उसी अधिवेशनमें आवश्यक विधान पेश किया जायेगा।

मार्च २४ : मुसलमानी तथा यहूदी विवाहोंके लिए विवाह-घोषणाका प्रकाशन आव- श्यक करनेके लिए संघ-सरकारके 'गज़ट'में घोषणा प्रकाशित ।

मार्च २५ : केपके भारतीयों द्वारा कस्तूरबा गांधी व इमाम अब्दुल कादिर बावजीरका हिन्दू सभामें स्वागत।

गांधीजीको केपटाउनका विधान भेंटमें दिया गया; सत्याग्रह कोषके लिए चन्दा भी दिया गया। गांधीजी द्वारा 'इंडियन ओपिनियन' में आयोगकी रिपोर्टके उपबन्धोंका विश्लेषण।

मार्च २६ : कस्तूरबा तथा इमाम बावजीरके साथ केपटाउनसे फीनिक्सके लिए रवाना।

मार्च ३० : फोनिक्स पहुँचे। डर्बन महिला संघ द्वारा पोलक तथा श्रीमती पोलकको विदाई।

अप्रैल १ : गोखलेको लिखे एक पत्रमें गांधीजीने कस्तूरबाके जीवित रहनेमें सन्देह व्यक्त किया।

ऐन्ड्रयूज भारत जाते हुए मारसेल्सके लिए रवाना।

अप्रैल ८ : गांधीजीने गृह मन्त्रालयसे आग्रह किया कि सिफारिशोंको देखते हुए तीन- पौंडी करके लिए गिरमिटिया मजदूरोंके पारिश्रमिकमें से कटौती करना बन्द किया जाये।

अप्रैल २२ : मन्त्रालयको तार दिया कि वह जबरदस्ती कर वसूलीको बन्द करनेका आदेश दे। स्मट्सने उत्तर दिया कि करके मुकदमे बन्द करनेके बारेमें न्याय- मन्त्रीसे सिफारिश कर दी गई है।

मई ६ के पूर्व मन्त्रालयसे आग्रह किया कि ट्रान्सवालमें प्रवेश चाहनेवाली भारतीय स्त्रियोंसे फोटो न माँगें जायें, बल्कि स्थानीय प्रमाण ही स्वीकार कर लिया जाये।

मई ६ : गोखलेको लिखकर पूछा कि यदि अन्तिम समझौता हो गया तो क्या वे और कस्तूरबा भारत जाते हुए उन्हें लन्दन में मिलें।

मई १६ : ग्लैड्स्टनने भारतीय राहत विधेयकके उपनिवेश-मन्त्रीको भेजा।

मई १९ : गांधीजीने मन्त्रालयसे विधेयक पेश करने की तारीखके बारेमें पूछा।