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नया विधेयक


सरकारको साफ और सख्त शब्दोंमें यह लिखें कि हमारा समाज इस सूचनाको भारतीयोंके लिए लाभकारी नहीं, बल्कि हानिकारक और अपमानजनक मानता है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-४-१९१३

२८. नया विधेयक

हम प्रत्येक उत्तरदायी भारतीयको इस विधेयकपर गम्भीरतासे विचार करनेकी सलाह देते हैं। इसके द्वारा सरकारने दुर्भावपूर्वक किन्तु बहुत ही चतुराईके साथ भारतीय समाजके प्रत्येक अंगपर आघात किया है। अगर यह विधेयक अपने वर्तमान रूपमें पास हो गया तो हम इस देश में रह ही नहीं सकेंगे। जो भारतीय यहाँ बहुत दिनोंसे रहते आनेके कारण निर्भय हो गये थे उन्हें भी यह विधेयक चौकन्ना कर देगा। कोई अमीर है या गरीब, शिक्षित है या अशिक्षित, यहाँ पैदा हुआ है या बाहर, सरकारने इसे देखे बिना सबके ऊपर प्रहार किया है। हम जानते हैं कि सरकार मीठे शब्दोंसे यह आश्वासन देकर कि कानून बन जानेपर भी अमलमें नहीं लाया जायेगा, हमें भुलावेमें डालना चाहेगी। यदि कोई भारतीय उसके जालमें फंसा तो पीछे पछतायेगा। इस विधेयकके और न्यायाधीश सर्लके निर्णयके फलस्वरूप हम वारिसोंके होते हुए भी लावारिस माने जायेंगे। हमारी पत्नियोंकी स्थिति रखैल औरतोंकी-सी हो जायेगी। हम दक्षिण आफ्रिका छोड़कर अथवा [ दक्षिण आफ्रिकाके] जिस प्रान्तमें रह रहे हों उसे छोड़कर किसी अन्य प्रान्तमें तीन बरसके लिए बाहर चले गये तो वापस आनेका हमारा अधिकार पूरी तरहसे नष्ट हो जायेगा। हम जो व्यापार पीछे छोड़ जायेंगे या जो सम्बन्धित कागजात अपने साथ ले जायेंगे वे किसी भी कामके नहीं माने जायेंगे। यहाँ ऐसी परिस्थितियोंमें हम कबतक टिक सकते है ? इस विधेयकके द्वारा जड़मूलसे हमारा नाश करनेकी भूमिका तैयार की जा रही है। हमें खेद इस बातका है कि इतना सब होनेपर भी समस्त दक्षिण आफ्रिकामें, जोहा- निसबर्गको छोड़कर, भारतीय सोये हुए हैं। हम जानते हैं और ऐसा मानते हैं कि अगर [दक्षिण आफ्रिकाके] हरएक भागमें एक-एक समझदार और निःस्वार्थ भारतीय भी काम करनेके लिए सामने आ जाये तो समस्त दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय जाग उठेगे। जो इस बातको समझता है कि हमारी नींद हमारा सर्वनाश किये बिना नहीं रहेगी, ऐसे प्रत्येक भारतीयका यह कर्तव्य है कि वह इस नींदसे अपनेको तथा दूसरोंको जगाये। "मुझे क्या लेना-देना है? - यह सोचकर जो भी भारतीय बैठा रहेगा वह अन्य भारतीयोंके साथ खुद भी डूब जायेगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-४-१९१३