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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हिलहेड बैरकों तथा माउंट एजकम्ब जायदादमें २७ नवम्बरको हुई भारतीय मृत्युओंकी वेरुलममें जाँच प्रारम्भ।

दिसम्बर १८ : सॉलोमन आयोगकी सिफारिशपर गांधीजी, पोलक और कैलेनबैक प्रिटो- रियामें रिहा। गांधीजी शामको जोहानिसबर्ग पहुँचे; सार्वजनिक सभामें भाषण; आयोगके सामने गवाही न देनेका प्रस्ताव पास; बादको 'नेटाल मर्क्युरी' द्वारा मुलाकात।

जाँच आयोगका अधिवेशन प्रिटोरिया में प्रारम्भ।

३६ सत्याग्रहियोंको जिनमें ५ महिलाएँ भी शामिल थीं सीमा पार करनेके अपराधमें ३ मासकी सजा।

दिसम्बर १९ : गांधीजी, पोलक और कैलेनबैकका डर्बनके लिए प्रस्थान।

दिसम्बर २० : जुलूसके साथ एन० आई० ए० के दफ्तर ले जाये गये; गांधीजी द्वारा दूसरे दिन आयोगके सामने गवाही देनेके बारेमें निर्णय करनेके लिए सार्वजनिक सभाकी घोषणा। 'नेटाल मर्क्युरी'को भेंटमें बताया कि जबतक सरकार भारतीय विरोधी भावनासे रहित यूरोपीयोंको नियुक्त नहीं करती, भारतीय समाज आयोगका बहिष्कार करेगा।

ट्रान्सवालकी महिला सत्याग्रही डर्बन जेलसे रिहा।

दिसम्बर २१ : गांधीजी डर्बनके भारतीयोंकी सार्वजनिक सभामें गिरमिटिया भारतीयोंकी वेशभूषामें गये; हड़तालके दौरानमें गोलीसे मारे गये भारतीयोंके लिए “आंतरिक शोक" के चिह्नके रूपमें दिनमें एक बार भोजन करनेके निर्णयकी घोषणा। समाज द्वारा गवाही न देने तथा संघर्ष पुनः चालू करनेका निर्णय; सिफारिश की कि डब्ल्यू० पी० ग्राइनर तथा सर जेम्स रोज-इन्स आयोगमें शामिल किये जायें; सत्याग्रहियोंकी रिहाईपर जोर दिया। गांधीजीने बादको सार्वजनिक सभामें पारित प्रस्तावोंको भेजते हुए गृह मन्त्रीको लिखा। आयोगका बहिष्कार न करनेके बारेमें गोखलेका तार प्राप्त।

दिसम्बर २२ : पारसी रुस्तमजी, छगनलाल गांधी, रामदास गांधी, डर्बन जेलसे रिहा; कस्तूरबा गांधी, श्रीमती छगनलाल गांधी, श्रीमती मगनलाल गांधी, सॉलोमन रायप्पन और दूसरे लोग मैरित्सबर्ग जेलसे रिहा।

गांधीजीका रिहा हुए सत्याग्रहियोंके स्वागत में की गई सभामें भाषण, भारतीयोंसे अपील की कि शोक चिह्नके रूपमें वे विलासको छोड़ दें।

आयोगके पुननिर्माणके सम्बन्धमें किये गये निर्णय तथा सत्याग्रहमें सार्वजनिक उत्साहके बारेमें गोखलेको तार दिया।

दिसम्बर २२ के बाद : सत्याग्रहियोंके साथ जेलमें किये गये दुर्व्यवहारके बारेमें 'नेटाल एडवर्टाइज़र' को लिखा।

दिसम्बर २३ : एसेलेन और वाइलीके एशियाई विरोधी रुख तथा सरकार द्वारा सत्या- ग्रही कैदियोंके दमनके बारेमें उदाहरण देते हुए गांधीजीने गोखलेको तार दिया।