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२७. शिकारीका जाल

संघ-सरकार शिकारीकी तरह हमारे लिए अनेक जाल बिछाती रहती है। उनमें से हम किसी भी क्यों न फंस जाये, उसे तो उसका शिकार मिल ही जायेगा। एक ओर बच्चोंपर सख्ती, दूसरी ओर स्त्रियोंका अपमान, तीसरी ओर व्यापारिक परवानों की परेशानी, चौथी ओर नया विधेयक और अब उसने नेटालवासियोंको फंसानेके लिए अपने जालमें सुगन्धित किन्तु जहरीला चारा रखकर उसको भारतीय जनताके समुद्रमे फैलाया है। उसमें जितनी मछलियाँ आ जायें, सरकारकी उतनी बन आयेगी ।११ अप्रैलके 'गजट' में एक सूचना है; उसमें कहा गया है कि जो लोग कुछ समयके लिए नेटाल छोड़कर बाहर जाना चाहते हों उन्हें, यदि वे चाहें तो, इस बातका अनुमतिपत्र मिल सकता है। यह अनुमतिपत्र किसे दिया जायेगा और किसे नहीं, इसका निर्णय अधिकारीकी मर्जीपर है। अधिकारी जो जानकारी मांगता है वह जानकारी उसे दे दी जाये तो प्रार्थी भारतीय एक पौंड देकर अनुमतिपत्र ले सकेगा। इस अनुमतिपत्रमें एक शर्त यह है कि उस व्यक्तिको एक वर्षके भीतर वापस आ जाना चाहिए। यदि वह एक वर्षके भीतर वापस आ गया तो उसे अधिकारी [जहाजसे] परीक्षा लिये बिना ही उतरने देगा। एक वर्षकी अवधि हो चुकनेपर अनुमतिपत्र रद हो जायेगा। उसका एक बार उपयोग करने के बाद वह अधिकारीको वापस दे दिया जाना चाहिए ताकि उसका पुन: उपयोग न हो सके। यहाँ प्रलोभन इस बातका दिया गया है कि लौटनेपर परीक्षा नहीं ली जायेगी। किन्तु अनुमतिपत्र देनेके पहले उसे इतना हैरान किया जायेगा कि बादमें एक वर्षके दरम्यान कुछ और करनेकी जरूरत ही क्या बच जायेगी! अनुमतिपत्र लेनेवाले व्यक्तिको इसके जो नतीजे भोगने होंगे, अब हम उनकी जाँच कर लें। पहली बात तो यह है कि उसे यह एक पौंडका जुर्माना भरना पड़ेगा और फिर जितनी बार वह जायेगा-आयेगा उतनी बार भरना पड़ेगा। दूसरे, हर बार अधिकारी उसकी परीक्षा लेगा और तीसरे, यदि ऐसे अनुमतिपत्र ज्यादा भारतीयोंने लिये तो सरकार कह सकेगी कि नये विधेयकमें जो तीन वर्ष बाहर रहनेकी अनुमति देनेकी व्यवस्था है यह छूट तो जरूरतसे ज्यादा है। इसके सिवा, एक वर्षकी अवधिके खिलाफ क्या आपत्ति उठाई जा सकती है? दूसरी ओर इस सारी हानिकी तुलनामें अनुमतिपत्र न लेनेके लाभ बहुत हैं। जानेवाला व्यक्ति निश्चिन्त होकर बाहर रह सकता है और जब वापस आये तब उपयुक्त प्रमाण देकर प्रवेश कर सकता है। यदि वह अपने प्रमाण तैयार कर लेनेके बाद ही बाहर जाये तो फिर उसे बहुत ही कम अड़चन होगी। और एक बड़ा लाभ यह होगा कि ऐसे अनुमतिपत्र न लेनेवाले व्यक्तिसे हमारे समाजका कोई नुकसान नहीं होगा। हम आशा करते हैं कि इस अनुमतिपत्रके लालच में एक भी भारतीय नहीं पड़ेगा। हम यह भी चाहते हैं कि जो पाठक इस टिप्पणीको पढ़ें वे दूसरे भारतीयोंको सारी बात ठीक-ठीक समझा दें और इस जालमें न फंसने के लिए कहें। डर्बनके नेताओंको चाहिए कि वे इस सूचनाका तत्काल विरोध करें और