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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकका, जिसका प्रवासी विनियम विधेयकके नामसे पुनः नामकरण किया गया, संसद (सीनेट) में प्रथम वाचन।

मई २९ : गांधीजीने शाइनर तथा एलेक्जेंडरको तार दिया कि दक्षिण आफ्रिकामें अवांछनीय स्त्रीके प्रवेशके मामलेके अभावमें भारतीय विवाहोंको पंजीकृत करना बेकार है।

गृह-मन्त्रीने भारतीय विवाहोंको वैध करार देनेके लिए कोई विधान बनानेकी सम्भावनासे या इस बातसे कि भारतीयोंको यह स्वीकृति दे दी गई है कि वे एकाधिक विवाहित पत्नियोंको ला सकते हैं, इनकार किया। गवर्नर जनरल ग्लैड्स्टनने तार देकर उपनिवेश मन्त्रीपर जोर दिया कि वे गांधीजीको पुनः सत्याग्रह प्रारम्भ करनेसे रोकनेके लिए भारत सरकारको प्रेरित करें; विश्वास दिलाया कि तीन-पौंडी कर रद करनेके लिए वे पूरा प्रयत्न कर रहे हैं।

मई ३० : गांधीजीने गृह मन्त्रीको तार द्वारा बताया कि भारत में विवाह प्रमाण- पत्रोंका प्रचलन नहीं है, इसलिए विवाह-कानूनकी अस्थायी समझौतेकी शर्तोंके साथ संगति होनी चाहिए।

गृह मन्त्री द्वारा द्वितीय वाचनके लिए विधेयक संसद (सीनेट) में पेश ।

जून २: गांधीजीने डर्बनसे वक्तव्य दिया कि प्रवासी विधेयक १९११के समझौतेकी दो प्रमुख शर्तोंका उल्लंघन करता है और वे आशा करते हैं संसद विधेयकमें संशोधन कर देगी।

विनवर्गकी भारतीय महिलाओंने अपने साथ पास न ले जानेकी प्रतिज्ञा की।

जून ५ : तीन-पौंडी करके सम्बन्धमें नेटाल प्रवासी कानून-संशोधन विधयक विधान- सभामें पेश।

संसदमें प्रवासी विनियम विधेयकका द्वितीय वाचन पारित।

गांधीजीने तार देकर गृह मन्त्री तथा संसदके सदस्योंपर जोर दिया कि महिलाओंके साथ ही पुरुषोंको भी तीन पौंडी करसे छूट मिलनी चाहिए।

जून ७: एक पत्रमें गोखलेको संकेत दिया कि यदि सत्याग्रह पुनः प्रारम्भ हो गया तो उनके भारत आनेकी तारीख अनिश्चित है। 'इंडियन ओपिनियन 'में, लिखते हुए घोषित किया कि यदि शिकायतें दूर नहीं की गईं तो सत्याग्रह अनिवार्य है।

जून ९: संसदम प्रवासी विनियम विधेयकका तृतीय वाचन।

जून ११ के पूर्व : गांधीजीने वक्तव्य दिया कि केवल महिलाओंको तीन-पौंडी करसे मुक्त करने का प्रस्ताव गोखलेको दिये गये रद करनेके आश्वासनके साथ धोखा करना है।

जून ११ : प्रवासी विनियम विधेयक पारित।

जून १२ : डर्बनके उपनिवेश में उत्पन्न भारतीयोंके संघने प्रवासी विधेयकका विरोध करते हुए प्रस्ताव पास किया; निर्णय किया कि भारतीयोंको कर न देनेकी सलाह दी जाये।