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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
(अप्रैल १९१३ --दिसम्बर १९१४)

अप्रैल १ : १९१३ का वित्तीय सम्बन्ध अधिनियम, संख्या १० अमलमें आया।

अप्रैल ३ : नये प्रवासी विधेयकका पाठ संघके विशेष गजटमें प्रकाशित।

अप्रैल ९ : गांधीजीने गृह मन्त्रीको तार दिया कि भारतीयोंके दृष्टिकोणसे विधेयकमें भयानक आपत्तियाँ हैं, क्योंकि इसका असर बहुतसे वर्तमान अधिकारोंपर पड़ता है; ई० एफ० सी० लेनको लिखा कि भारतीय विवाहोंपर सर्ल द्वारा दिये गये निर्णयने दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय समाजकी नींवको ही हिला दिया है।

अप्रैल ९ के बाद: ब्रिटिश भारतीय संघको दिये गये तारमें प्रवासी विधेयकके प्रति विरोध व्यक्त।

अप्रैल १० : मार्च ३० की सार्वजनिक सभा में पारित प्रस्तावोंकी प्रतियाँ गृहमन्त्रीको भेजीं।

अप्रैल १२ : 'इंडियन ओपिनियन 'में नये विधेयक द्वारा १९११ के अस्थायी समझौतेकी शर्तें पूरी न होनेके बारेमें विस्तारसे प्रकाश; सरकारके राहत देने में असफल होनेपर ब्रिटिश भारतीयोंको " कष्टमें आनन्द प्राप्त करने " का पाठ याद करनेको कहा।

अप्रैल १४ : विधान-सभामें प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकका प्रथम वाचन।

अप्रैल १५ : गृह मन्त्रीको लिखे एक पत्रमें गांधीजीने नेटाल प्रवासी अधिनियमको कायम रखने तथा शिक्षित भारतीयोंकी पत्नियों व नाबालिग बच्चोंको संरक्षण देनेका आग्रह किया; सत्याग्रहके उल्लेखका अर्थ धमकी देना लगानेके लिए खेद व्यक्त। गृह-सचिवको लिखा कि गैर-ईसाई विवाहोंको वैध करार देनेके लिए संघके विवाह-कानूनों में संशोधन किया जाये।

अप्रैल १६ : गवर्नर जनरल ग्लैड्स्टनने यह आशा व्यक्त करते हुए सरकारको लिखा कि "बिना विधान पास किये किस प्रकार छोटी-मोटी व्यावहारिक रियायतें दी जा सकती हैं, इसपर मन्त्री विचार कर रहे होंगे।"

अप्रैल १९ के पूर्व : कस्तूरबा गांधी द्वारा संघर्ष में शामिल होने तथा अपनेको गिरफ्तारीके लिए पेश करनेका निर्णय।

अप्रैल १९ : गांधीजीने कस्तूरबाके निर्णयके बारेमें गोखलेको सूचना दी। गोखलेका जहाजसे इंग्लैंडके लिए प्रस्थान।

अप्रैल २६: विधान-सभा प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकका दूसरा वाचन।

अप्रैल २७ : गांधीजी फीनिक्ससे जोहानिसबर्ग पहुँचे, फ्रीडडॉर्पकी सार्वजनिक सभामें भाषण और सभा द्वारा प्रवासी विधेयकके खिलाफ प्रस्ताव पास।

अप्रैल २७ के बाद : प्रवासी विधेयकके बारेमें अपनी आपत्तियोंको दोहराते हुए चैपलिन, मॅरीमैन, स्मार्ट, अलैक्ज़ेंडर, शाइनर तथा ऍम्टहिलको तार भेजे और लिखा कि सरकार राहत देनेमें असफल रही तो सत्याग्रह पुनः चालू किया जायेगा।