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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उनके सहयोगी आयुक्तोंने भी मौजूदा समझौतेके सम्पादनमें अपने-अपने योगदानके द्वारा साम्राज्यको महान् सेवा की है।

३. आप देखेंगे कि जहाँ श्री गांधी अपने तई समझौतेको स्वीकार करते हैं, वहाँ वे अपने पत्र में कुछ ऐसे मुद्दोंका भी उल्लेख करते हैं जिनका, उनके विचारसे, भविष्य में कभी निवटारा हो जाना चाहिए। फिर भी, वे संघर्षकी पुनरावृत्तिका कोई पूर्वाभास नहीं देते, और मैं नहीं समझता कि भारतीय समाजका कोई बड़ा हिस्सा, उसे जो सुविधाएँ दी गई हैं, उन्हें आधार बनाकर फिर नई माँगें पेश करनेकी नासमझी करेगा । जान पड़ता है, इस सम्बन्धमें ऐसी ही कुछ आशंका ‘केप आर्गस' के एक अग्रलेख में लेखकको है । लेखकी एक प्रति मैं साथ भेज रहा हूँ। लेकिन ऐसा नहीं लगता कि इतना कुछ प्राप्त कर लेनेके बाद भारतीय-मात्र इसलिए अधैर्य प्रदर्शित करनेकी भूल करेंगे कि उन्हें और अधिक नहीं मिला।

४. अखवारोंके शेप उद्धरण भी आपको दिलचस्प लगेंगे।

इनमें से पहलेमें जोहानिसवर्गसे भेजे दो तारोंका पाठ दिया गया है - एक श्री गोखलेके नाम इंग्लैंड भेजा गया था और दूसरा बम्बईके पतेपर किसी व्यक्तिको भेजा गया था प्रथमपर श्री काछलियाके हस्ताक्षर हैं । ये वही काछलिया हैं, जिनकी सरकारको दी गई आखिरी चुनौतीसे, आपको याद होगा, पिछले वर्षके अन्तिम दिनोंमें नेटालफी हड़ताल और उससे सम्बद्ध आन्दोलन प्रारम्भ हुए थे। दूसरे तार- पर सर्वश्री काछलिया, गांधी, कैलेनबैक और पोलकके हस्ताक्षर हैं। दोनों तारोंमें “ अन्तिम समझौता " शब्द-समुच्चयका प्रयोग किया गया है, और दोनों ही की भावना और शब्द योजना ऐसी हैं जिनपर किसी कटुसे-कटु आलोचकको भी कोई आपत्ति नहीं हो सकती।

दूसरे उद्धरणमें श्री गांधीके डवन आगमन और नेटाल-भारतीय संघ द्वारा उनके कार्यसे सहमति व्यक्त करते हुए एक प्रस्तावकी स्वीकृतिकी रिपोर्ट दी गई है।

तीसरेमें इसी ८ तारीखको डर्बनके टाउन हॉलमें मेयरकी अध्यक्षतामें श्री गांधीके सम्मान में आयोजित एक समारोह में श्री गांधी द्वारा दिये गये विदाई भाषणका सार प्रस्तुत किया गया है। आप देखेंगे कि वे उसमें संघ-सरकारके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, अन्य हलकोंसे प्राप्त सहायताके लिए आभार व्यक्त करते हैं, और समझौतेके सम्बन्ध में बोलते हुए कहीं भी ऐसा कहते प्रतीत नहीं होते कि उन्होंने यह नहीं किया, वह नहीं किया।

एक बात और भी है कि उनका इरादा अगले हफ्ते दक्षिण आफ्रिका छोड़ देनेका है । इसका, कदाचित् यह अर्थ लगाया जा सकता है कि वे अब इस देशमें अपने कठिन प्रयासोंको सम्मानपूर्ण ढंगसे निष्पन्न हो गया समझते हैं ।

भवदीय

गवर्नर जनरल