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परिशिष्ट

दिया गया है कि अन्य बातोंका निबटारा भविष्य में किया जायेगा, वहाँ शब्द-योजना बड़ी कुशलतापूर्ण है, और हो सकता है श्री गांधीको अपने-आपके प्रति न्याय करने तथा शीघ्र ही और रियायतोंकी माँग करनेकी सम्भावनाको टालनेके लिए इसे शामिल करना आवश्यक लगा हो । ऐसा खयाल है कि जब वह पत्र जनरल स्मटसको दिया गया तो उन्होंने उसे कूटनीति और विचक्षणताका एक सराहनीय करतब बताया। ऐसा नहीं लगता कि उन्होंने इसे समझौतेकी शर्तोंका कोई गम्भीर परित्याग माना, किन्तु अबतक मैं व्यक्तिगत रूपसे इस प्रश्नपर उनके विचार नहीं जान पाया हूँ।

८. साथमें अखबारोंके दो उद्धरण भेज रहा हूँ। पहलेमें शनिवारको श्री गांधींके सम्मानमें आयोजित बधाई-समारोहकी कार्यवाही की रिपोर्ट दी गई है। मेरा खथाल है, सिनेट-सदस्य मार्शल कैम्बेल, श्री मेलर और श्री गांधीके भाषण आपको दिलचस्प होंगे। दूसरेमें जोहानिसबर्ग की एक मुस्लिम-संस्थाके क्षोभ और असन्तोषका विवरण है। उनकी शिकायत शायद यह है कि यह कानून बहुपत्नीक विवाहोंको मान्यता नहीं देता, और मुझे भय है कि कमसे-कम अभी हालमें तो उस शिकायत को दूर नहीं किया जा सकता। मुसलमानोंके एक शिष्टमण्डलने जनरल स्मट्सका ध्यान मारिशसके कानूनकी ओर आकृष्ट किया है। किन्तु, गृह विभागका खयाल है, और मैं भी उससे सहमत हूँ, कि इस मानेमें वह कानून संघ-संसद द्वारा पास किये गये भारतीय राहत अधिनियमकी व्यवस्थाओंसे कम उदार है।

भवदीय

गवर्नर जनरल

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: ५५१/५८

(२) उपनिवेश कार्यालय के नाम गवर्नर-जनरलका खरीता

केप टाउन

जुलाई १०, १९१४

महोदय,

मैं साथ में गृह विभाग और श्री गांधीके बीच हुए पत्र-व्यवहारको, अखबारोंमें प्रकाशित प्रति भेज रहा हूँ । इस पत्र-व्यवहारका विषय वे कुछेक प्रशासनिक मुद्दे हैं, जिनका निपटारा भारतीय राहत विधेयक पास किये जाने तक स्थगित रखा गया है। यह कानून, जो अब विधि-पुस्तकमें शामिल कर लिया गया है, भारतीय जांच-आयोगकी उन सिफारिशोंको कार्यरूप देता है जिनके कारण इसे पास करना आवश्यक हो गया था। शेष सिफारिशें ऐसी थीं जिनके सम्बन्ध में विभागीय तौरपर कार्रवाई की जा सकती थी । संलग्न पत्र-व्यवहार में उनके सम्बन्धमें आवश्यक कार्रवाई करनेका वादा किया गया है, और इस वादेके अतिरिक्त उन अन्य मुद्दोंके सम्बन्ध में श्री गांधीको मान्य होने लायक आश्वासन भी दिये गये हैं, जिन्हें उन्होंने संतोषजनक समझौतेके लिए आवश्यक बताया था।

२. आपको श्री गांधीका यह वक्तव्य पढ़कर बड़ा संतोष होगा कि यह प्रस्ताव तथा इस विधेयकके पास हो जानेकी बात, दोनों मिलकर, आजसे कोई आठ वर्ष पूर्व प्रारम्भ किये गये संघर्षको समाप्त कर देते हैं। मुझे अपना पद छोड़ते समय यह जानकर सचमुच बढ़ी प्रसन्नता हो रही है कि दक्षिण आफ्रिका के जिस भारतीय सवालको लेकर न केवल इस देशकी सरकार और जनता इतनी परेशान रही है, बल्कि महामहिमकी सरकार तथा भारत सरकार भी उतनी ही परेशान रहीं, अब उसके हल हो जानेकी आशा की जा सकती है। मेरे विचारसे मन्त्रियों तथा संघ-संसदने और साथ ही सर विलियम सॉलोमन तथा