पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/६५०

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
परिशिष्ट २५
भारतीय राहत-अधिनियम, १९१४
१९१४ का अधिनियम संख्या २२

संघमें महामहिम सम्राट्की भारतीय प्रजाकी कतिपय शिकायतोंको दूर

करने और कतिपय निर्योग्यताओंको हटाने तथा इनसे

सम्बन्धि अन्य मामलोंके लिए

महामहिम सम्राट, दक्षिण आफ्रिकाकी सीनेट और लोक-सभा (हाउस ऑफ असेम्बली) द्वारा निम्न-लिखित विधान किया जाता है :-

किसी भारतीय धर्मके अनुसार विवाह सम्पन्न कराने के लिए विवाह-अधिकारीकी नियुक्ति

१. (१) गृह-मन्त्री (आगे सब जगह मन्त्री कहा जायेगा) समय-समयपर किसी भी भारतीय धर्मके धर्माधिकारीको विवाह-अधिकारी नियुक्त कर सकता है जिन्हें उस धर्मके विधि-विधानोंके अनुसार भारतीयोंके विवाह सम्पन्न करानेका अधिकार होगा।

(२) इस प्रकार नियुक्त विवाह-अधिकारी द्वारा विधि-विधानके अनुसार दो भारतीयों के बीच सम्पन्न कराये गये विवाह वैध और पक्के होंगे और ऐसे विवाहमें बँधे लोगोंको वे सब अधिकार प्राप्त होंगे जो कानून द्वारा वैध और मान्य समझे जानेवाले विवाहसे प्राप्त होते हैं।

(३) इस खण्डके अन्तर्गत नियुक्त किये गये किसी विवाह-अधिकारीपर रजिस्टर रखने और उसके द्वारा सम्पन्न कराये गये विवाहोंके विवरण दर्ज करनेकी वैसी ही जिम्मेदारी होगी जैसी कि, जिस प्रान्त में वे विवाह सम्पन्न कराये जाते हैं उनमें प्रचलित किसी भी अन्य कानूनके अन्तर्गत नियुक्त किये जानेवाले विवाह-अधिकारियोंपर लगाई गई है; और इन रजिस्टरोंको रखने और उनकी जाँच करने, उनकी प्रतियाँ प्राप्त करने, उनकी प्रमाणित प्रतियोंके सबूत, और ऐसे रजिस्टरों या ऐसी प्रमाणित प्रतियोंके खो जाने, उनके नष्ट होने या उनमें गलत इन्दराज सम्बन्धी ऐसे कानूनकी व्यवस्थाएँ इस खण्डमें सम्मिलित मानी जायेंगी।

वास्तव में एक-पत्नीक विवाहोंका पंजीयन द्वारा वैधीकरण

२. (१) यदि कोई भारतीय पुरुष और भारतीय नारी किसी मजिस्ट्रेट या विवाह-अधिकारीको (चाहे वे इस अधिनियमके अन्तर्गत नियुक्त हुए हों अथवा अन्य किसी कानूनके अन्तर्गत) प्रार्थनापत्र देकर उसे यह इत्मीनान करा दें-

(क) कि जिस धर्म के वे माननेवाले हैं उस धर्मके नियमोंके अनुसार उनके पारस्परिक सम्बन्ध विवाहके रूपमें मान्य हैं; और

(ख) कि उन दोनोंमें से किसीका एक अन्य किसी तीसरे व्यक्तिसे कोई ऐसा सम्बन्ध नहीं है जो उक्त धार्मिक नियमों के अनुसार विवाहके रूपमें मान्य हो अथवा कोई ऐसा सम्बन्ध नहीं है जो कानूनकी दृष्टिमें विवाहके रूपमें मान्य हो; और

(ग) कि दोनों ही इस बातके इच्छुक हैं कि उनके सम्बन्धोंको कानूनकी दृष्टिमें वैध और पक्के विवाहके रूपमें मान्य किया जाये, तो उक्त अधिकारी उनके पूरे नाम, निवासस्थान, जन्मस्थान, और पुरुष तथा नारीका आयु-सम्बन्धी विवरण; और वे सब अन्य विवरण जो इस खण्डके अन्तर्गत बनाये गये विनियमों द्वारा निर्धारित किये