(८) किसी प्रार्थी द्वारा इच्छा प्रकट किये जानेपर प्रवासी विभागसे प्राप्त होनेवाले अनुमतिपत्रों, प्रमाणपत्रों आदिके प्रार्थनापत्रके फार्म उससे जानकारी लेकर कार्यालयके वलर्कको भरना चाहिए।
(९) केपटाउन-स्थित प्रवासी विभागमें कुछ मामलों में प्रार्थियोंके केवल अँगूठा-निशानी लेनेकी जगह दोनों हाथोंकी सारी अँगुलियोंके निशान लेनेका जो वर्तमान नियम है उसे समाप्त कर देना चाहिए।
(१०) जिस जिलेमें कोई प्रवासी-अधिकारी न हो, वहाँके रेजिडेंट मजिस्ट्रेटको यह अधिकार दिया जाना चाहिए कि वह अपने जिलेमें रहनेवाले उन भारतीयोंको अस्थायी रूपसे अनुमति दे सके जो अपने प्रान्तसे संघके किसी अन्य प्रान्तकी यात्रा करना चाहते हैं।
(११) शिनाख्तीके प्रमाणपत्र या अस्थायी अनुमतिपत्रपर जो वर्तमान १ पौंडका शुल्क है, उसे घटाकर बहुत कम कर देना चाहिए और उनकी अवधि बढ़वानेके लिए कोई शुल्क नहीं होना चाहिए।
(१२) किसी भारतीय द्वारा एक प्रान्तसे दूसरे प्रान्तकी यात्राके लिए अनुमतिपत्र जारी करनेकी प्रार्थना करनेपर इस समय यह नीति प्रचलित है कि एक प्रान्तका प्रवासी अधिकारी दूसरे प्रान्तके प्रवासी अधिकारीसे तार द्वारा सम्पर्क स्थापित करता है। यह प्रथा समाप्त कर दी जानी चाहिए।
(१३) नेटाल प्रान्तके प्रवासी-अधिकारी द्वारा भारतीयोंको दिये गये अधिवास प्रमाणपत्रोंको, प्रवेश के अधिकारका निर्विवाद प्रमाण माना जाना चाहिए और शिनाख्त होते ही उनके मालिकोंको संघमें प्रवेश मिल जाना चाहिये जिनपर उन्हें पानेवाले भारतीयोंकी अँगूठा-निशानी होती हैं।
(१४) यदि सम्भव हो तो भारत-सरकारके साथ एक ऐसा प्रबन्ध किया जाये कि दक्षिण आफ्रिका अपने पतियोंके पास जानेके लिए भारतसे रवाना होनेवाली पत्नियों और बच्चोंको सरकारी जाँच भारतमें किसी मजिस्ट्रेट या अन्य किसी सरकारी अधिकारी द्वारा की जाये । यदि जाँचके बाद उस अधिकारीको सन्तोष हो कि वह स्त्री और बच्चे दक्षिण आफ्रिके उसी आदमीकी पत्नी और बच्चे हैं जिसकी पत्नी और बच्चे होनेका वे दावा करते हैं, तो उसे इस आशयका एक प्रमाणपत्र देना चाहिए, और प्रवासी- अधिकारीको चाहिए कि वह ऐसे प्रमाणपत्रको उसमें उल्लिखित तथ्योंका निर्विवाद प्रमाण माने।
[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २५-३-१९१४
केप टाउन
५ जून, १९१४
महोदय,
पिछले माहकी ३० तारीखके अपने गोपनीय खरीतेमें मैंने निवेदन किया था कि भारतीय राहत- विधेयक और कुछ प्रशासनिक प्रश्नोंपर श्री गांधीने जो मुद्दे उठाये थे उनपर बातचीत करनेके लिए वे जल्दी ही जनरल स्मटससे मुलाकात करेंगे। वे पिछले शनिवारको उनसे मिल चुके हैं। मेरी जानकारीके अनुसार जनरल स्मट्सने श्री गांधीको सुझाव दिया कि विधेयकको जल्दी पास करनेकी तात्कालिक आवश्यकताको देखते हुए पहले उससे सम्बन्धित प्रश्नोंपर विचार किया जाये, और प्रशासनिक प्रश्नोंको थोड़े समय तक के लिए उठा रखा जाये; इससे मन्त्री महोदयको उनपर विचार करनेके लिए कुछ ज्यादा समय मिल जायेगा। श्री गांधी इस सुझावसे सहमत हो गये। परिणाम स्वरूप जनरल स्मटसने श्री