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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बातकी पूरी गारंटी नहीं दे पायें कि राहत-सम्बन्धी कानून पास कर दिया जायेगा । श्री ऐण्ड्यूजने कहा, मुझे लगता है कि शायद श्री गांधीकी प्रतिज्ञा [ आयोगके सामने बयान देनेमें ] एक दुस्तर बाधा सिद्ध हो । मैंने कहा कि श्री गांधी दंगोंके बारेमें तो गवाही दे सकते हैं; क्योंकि गवाही देनेकी ऐसी तत्परता तो स्वयं उन्होंने व्यक्त की है । इस परिस्थितिमें वे अनुमति लेकर अदालत में भी अपनी शर्तें पेश कर सकते हैं, दलीलें दे सकते हैं और कह सकते हैं कि यद्यपि मैं तथ्यके मामलोंमें निर्णय देनेकी आयोगको क्षमता और सत्ताको पूरी तरह स्वीकार करता हूँ, लेकिन अपने और अपने साथियोंके लिए यह अधिकार पूरी तरह सुरक्षित रखता हूँ कि राजनीतिक सिद्धान्तके मामले में तथा अन्तरात्माके निर्देशसे सम्बन्धित बातों में हम चाहे जो रास्ता अपना सकते हैं। मुझे आशा है कि आयोग सही निर्णय ही देगा, लेकिन न मैं और न मेरे साथी ही आगे कोई गवाही दे सकते हैं । श्री ऐण्ड्यूजने कहा कि इस सुझावसे कुछ आशा तो बँधती है; किन्तु जहाँ अन्तरात्माके निर्देशका सवाल हो, वहाँ श्री गांधीको कोई बात डिगा नहीं सकती । इस सुझावके बावजूद प्रतिज्ञाके कारण बहुत बड़ी कठिनाइयों उत्पन्न हो सकती हैं। पहले एक अवसरपर जोहानिसबर्ग में दो पठानने श्री गांधीको मार डालनेकी कोशिश की थी, क्योंकि प्रतिज्ञा लेनेके बाद उन्होंने समझौता कर लिया था। लेकिन, अगर सरकारके आश्वासन सन्तोषजनक नहीं हुए तो मैं श्री गांधीको यह रास्ता अपनानेके लिए प्रेरित करनेकी पूरी कोशिश करूँगा । आगे उन्होंने कहा कि यों तो श्री बेंजामिन रॉबर्टसन एक सुयोग्य अधिकारी हैं, किन्तु वे, श्री गांधीका मस्तिष्क जिस सूक्ष्म और संवेदनशील तरीकेसे काम करता है, उसे समझ नहीं पायेंगे। मैंने यह सूचना जनरल स्मट्सको दे दी है । मैं नहीं कह सकता कि श्री ऐण्ड्यूजने श्री गांधी के विचारोंका जो स्पष्टीकरण किया है वह कहाँ तक सही है, लेकिन उन्होंने जो कुछ कहा वह यदि सही जानकारीपर आधारित हो तो स्थिति अपेक्षाकृत अधिक आशाजनक जान पड़ती है । इसके अतिरिक्त आज सरकार भी ऐसी स्थिति में है कि वह सारे मामलेपर पहलेकी अपेक्षा अधिक आसानीसे उदार दृष्टिकोण अपना सकती है। पिछली कुछ घटनाओंके कारण सरकारकी सत्ता और प्रतिष्ठा में कुछ कमी-सी आ गई थी किन्तु उसने इड़तालके सिलसिले में जिस दृढ़ता और साहससे काम लिया, उससे परिस्थिति फिर जैसीकी-तैसी हो गई है। श्री गांधी के सरकारकी परेशानीके दिनोंमें शांति बनाये रखनेकी बातकी सरकार काफी कद्र करती है । अगर अब ब्रिटिश भारतीयोंके साथ रियायत की जाती है तो कोई नहीं कहेगा कि वह डरकर की गई है । अतएव, मेरा हार्दिक विश्वास है कि परिणाम सन्तोषजनक हो सकता है।

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: ५५१/५३

परिशिष्ट २३
सॉलोमन आयोगकी रिपोर्टके अंश

चूँकि आयोग (कमीशन) की सिफारिशोंपर आधारित विधेषकके शीघ्र ही प्रकाशित होनेकी आशा है, इसलिए हम उस रिपोर्ट से यहाँ ज्यादा उद्धरण नहीं देंगे। इसके अलावा, पूरी रिपोर्टकी प्रति केप- टाउनमें ९ पॅस देकर प्राप्त की जा सकती है। यहाँ हम उसके कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दे अवश्य दे रहे हैं। विवाह और ३ पौंडी कर सम्बन्धी प्रश्नोंके बारेमें रिपोर्ट की विस्तृत योजनाका संक्षिप्त सार प्रस्तुत कर सकना हमारे लिए सम्भव नहीं हो सका है, इसलिए हम इन दोनों मुद्दोंपर कमोशनकी सिफारिशोंका पूरा पाठ ज्योंका-त्यों दे रहे हैं। रिपोर्ट ३८ फुलस्केप पृष्ठोंकी है और हम उसमें से निम्नलिखित अंश यहाँ ले रहे हैं :