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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं पूरी आशा करता हूँ कि यदि इस विधेयकको पास किया ही जाना है तो ऐसे संशोधनोंके साथ पास किया जायेगा जो समाजकी उठाई गई आपत्तियोंके निराकरणके लिए आवश्यक हों।

आपका

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५७७०) की फोटो-नकलसे।

२३. कस्तूरबा गांधीसे बातचीत

[अप्रैल १९, १९१३ से पूर्व

निर्णयको सूचना दी थी, अमेलको श्री गोखलका विवरण कुछ विस्तारसंक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहा हैस्तउद्ध

जब श्रीमती गांधीने विवाह-सम्बन्धी कठिनाई समझ ली, तो उन्हें बहुत क्रोध आया और वे श्री गांधीसे बोली : "तब तो, इस देशके कानूनोंके अनुसार मैं आपकी पत्नी नहीं हूँ।" श्री गांधीने उत्तर दिया, हाँ, यही बात है और हमारे बच्चे हमारे उत्तराधिकारी नहीं है। श्रीमती गांधीने कहा: "तब चलिए, हम लोग भारत चलें।" श्री गांधीने उत्तर दिया, यह तो कायरताकी बात होगी और उससे कठिनाई दूर न होगी। श्रीमती गांधीने पूछा : "तब क्या मैं स्वयं भी संघर्ष में सम्मिलित होकर गिरफ्तार नहीं हो सकती?" श्री गांधीने उन्हें बताया कि वे सम्मिलित तो हो सकत हैं, किन्तु यह कोई छोटी बात नहीं है। उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं है, उन्हें इस तरहके कष्टका अनभव नहीं है और यदि उन्होंने संघर्ष में सम्मिलित होने के बाद कमजोरी दिखाई तो वह लज्जाकी बात होगी। किन्तु श्रीमती गांधी टससे-मस नहीं हुई। अन्य महिलाएं भी उनसे अपने बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध और आश्रममें रहने के कारण पीछे नहीं रहना चाहती थीं। उन्होंने आग्रहपूर्वक कहा: "हमारा विचार भी श्रीमती गांधीके समान ही पक्का है। यदि हमारा विचार पक्का न होता तो भी यह कैसे हो सकता है कि श्रीमती गांधी जेल जायें और हम लोग बाहर बनी रहें?" इस प्रस्तावने सबको चिन्तामें डाल दिया। यह निश्चय बहुत महत्त्वपूर्ण है।[२]

[अंग्रेजीसे
इंडियन ओपिनियन, १०-१९१३
  1. २. गांधीजीने १९ अप्रैलको श्री गोखलेको श्रीमती कस्तूरबा गांधीके संवमें शामिल होनेके निर्णयकी सूचना दी थी, लेकिन साथ ही इस बातको न कहनेका अनुरोध भी किया था; देखिए “पत्र: गो० कृ० गोखलेको", पृष्ठ ३९-४० । तिथिका अनुमान इसी आधारपर लगाया गया है।
  2. १ .यह "न्यूज ऑफ द स्ट्रगल" ("संघर्षके समाचार")शीर्षक स्तम्भसे उद्धत किया गया है,जो इंडियन ओपिनियनमें प्रति सप्ताहसत्याग्रह होता था। देखिए दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह कविस्ता ३९ भी । उसमें इस घटना का विवरण विस्तारसे दिया गया है ।