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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उठाकर कोई बड़े विवेकका परिचय दिया हो। अभी यही स्थिति है। मैं समझता हूँ कि यदि दक्षिण आफ्रिकी सरकार भारत और संसारके आगे अपनेको न्यायोचित ठहराना चाहती है तो उसके लिये एक ही रास्ता रह जाता है कि वह बड़ी बारीकोसे जाँच-पड़ताल करानेके लिए एक ऐसी शक्ति-सम्पन्न, निष्पक्ष समिति नियुक्त करे जिसमें भारतीय हितोंको भी प्रतिनिधित्व दिया जाये । आप भरोसा रखिए कि राज्य ये सुझाव साम्राज्यीय सरकारके सामने रखना बन्द नहीं करेगा। "

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, ३-१२-१९१३ ।

परिशिष्ट १७

गो० कृ० गोखलेके नाम वाइसरायका तार

आदरणीय श्री गोखले

सर्विडिया

दिसम्बर २८, १९१३

पूना

गांधीके दिये वचन और एक शान्तिपूर्ण समझौता करानेकी मेरी उत्कट इच्छाको ध्यान में रखते हुए सर बेन्जामिन रॉबर्ट्सन पहली जनवरीको बम्बईसे रवाना होंगे। वे शायद ११ या १२ को डर्बन पहुँच जायेंगे। मैंने उपनिवेश सचिवसे कहा है कि वे संघ सरकारके साथ ऐसा प्रबंध करें कि आयोग की बैठक कुछ समय के लिए मुलतवी हो जाये। मुझे रॉबर्ट्सनकी यात्रा से किसी बड़े परिणाम की आशा नहीं है परंतु मैं शांति स्थापित कर सकते का कोई अवसर खोना नहीं चाहता। मेरी समझ में आपका गांधी को या वह रखना उचित होगा कि यदि वे तथा उनके साथ ही भारतीय सत्याग्रह चड़ेंगे या हिंसक सहारा लेंगे तो रॉबर्ट्सनकी तत्काल अपने आपको उनसे अलग घोषित कर देंगे। मैं विश्वास करता हूं कि रॉबर्ट्सन के पहुंचने पर गांधी उनसे खुलकर बातचीत करेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]

वाइसराय

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया, फाइल नं० ४५

सौजन्य : सवॅटस ऑफ इंडिया सोसाइटी, पूना

वाइसराय