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पत्रः ड्रमंड चैपलिनको


ओर आकर्षित करने की अनुमति दीजिए जिसमें गिरमिटिया भारतीयोंमें प्रचलित बहुपत्नी प्रथा मान्य की गई है। मेरा संकेत इस अधिनियमके खण्ड ६ और ७ की ओर है, जिनकी नकले मन्त्री महोदयकी जानकारीके लिए मैं इस पत्रके साथ नत्थी करता हूँ।

मेरी विनम्र सम्मतिमें श्री सर्लके फैसलेसे उत्पन्न प्रश्न संघके विवाह कानूनोंमें संशोधन करके ही प्रभावकारी रूपसे तय किया जा सकता है ताकि उससे गैर-ईसाई धर्मोंकी प्रथाओंके अनुसार और गैर-ईसाई पुरोहितोंके सम्मुख सम्पन्न होनेवाले विवाह वैध हो जायें।[१]

आपका,
मो० क० गांधी

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५७६८) की फोटो-नकलसे ।

२२. पत्र:ड्रमंड चैपलिनको

[फोनिक्स]
अप्रैल १६, १९१३

प्रिय श्री चैपलिन,

प्रवासी विधेयकके सम्बन्धमें गृह-मन्त्रीको जो लम्बा तार[२] मुझे देना पड़ा था, मैंने उसकी प्रति आपको भेजनेकी छूट ले ली थी। पोलकको लिखे गये आपके पत्रसे जाना कि वह आपको समयपर मिल गया था और आप उसपर विचार कर रहे हैं। अब मैं आपको मन्त्री महोदयके और मेरे बीच हुए अगले पत्र-व्यवहारकी नकलें भेज रहा हूँ। इन नकलोंमें आप वह पत्र-व्यवहार भी देखेंगे जो न्यायाधीश सर्लके अभी हालके फैसलेके सम्बन्धमें किया गया है। उनके इस फैसलेसे सभी भारतीय विवाह अवैध हो जाते हैं। इसलिए मैंने जो मुद्दे उठाये हैं, उनमें से एक मुद्दे में यह मांग की गई है कि वर्तमान कानूनमें ऐसा सुधार कर दिया जाये जिससे फैसलेसे पूर्व जो कानूनी स्थिति मौजूद समझी जाती थी, वह फिर कायम हो जाये।[३]

दूसरे मुद्दोंके बारेमें मुझे टिप्पणी करनेकी आवश्यकता नहीं है। ये मुद्दे वे ही हैं जिनपर, आपको याद होगा, जोहानिसबर्गमें श्री गोखलेके ठहरनेके दिनोंमें श्री हॉस्केनके घरपर सभामें चर्चा की गई थी।
  1. १. उत्तरमें मई ९ को गृह-मन्त्रीकी ओरसे लिखा गया था: " मन्त्री महोदयको १९०७ के नेटाल अधिनियम २ की व्यवस्थाकी पूरी जानकारी, लेकिन वह तो एक विशेष वर्गके लोगोंपर लागू किये जाने के उद्देश्यसे निर्मित विशेष कानून है, और उस विशेष वर्गके लोगोंके बारेमें यह खयाल नहीं किया गया था कि वे दक्षिण आफ्रिकाके स्थायी निवासी बन जायेंगे।"
  2. २. देखिए " तार : गृह-मन्त्रीको", पृष्ठ ७ ।
  3. ३. देखिए पिछला शीर्षक ।