पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/६२९

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(२) उपनिवेश-कार्यालयको गवर्नर-जनरलका तार

गोपनीय

उन्नीस दिसम्बरका मेरा गुप्त तार। समाचार है कि गांधीने कल डवनमें भारतीयोंकी सार्वजनिक सभामें कही कि भारतीय दृष्टिकोण से आयोगके गठन के आपत्तियोंके कारण भारतीय उसे स्वीकार नहीं कर सकते। उनकी सलाई आयोगको मौजूदा रूपमें स्वीकार भी प्रतिनिधित्व नहीं । वे भावना यह है कि दे कि भारतीय हितोंसे सम्बन्धित चाहिए । उनका सम्मान नागरिकों के रूपमें किये गये कि वह कानूनोंकी एक-पक्षीय है कोई संवर्षकी ५८९ प्रिटोरिया दिसम्बर २२, १९१३ डवनमें भारतीयोंकी सम्बन्ध में गम्भीर उनकी सलाह थी कि नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि भारतीयोंका उसमें कई शिकायतें दूर करानेके लिए लड़ रहे हैं । सरकार भारतीयों के इस अधिकारको पक्की मान्यता प्रत्येक बातमें उनसे सलाह-मशविरा किया जाना यदि सरकार इस हदतक झुकने और भारतीय भावनाओंको समझने तथा करनेके लिए तैयार नहीं होगी, तो साम्राज्यके वफादार लेकिन वीर भारतीयों के लिए यह असम्भव होगा कि वे उनसे पूछे बिना पास करें। आयोगके बारेमें दूसरी आपत्ति यह थी भारतीय चाहते हैं कि उनके पक्षके लोग भी व्यवस्थाओंका और इसीलिए पालन उसमें लिये जायें । उनकी उसपर यह माँग शायद पूरी न हो, परन्तु वे चाहते हैं कि आयोग निष्पक्ष हो । जबतक एशियाइयोंके प्रति अविरोधी विचार रखनेवाले लोगोंको नामजद नहीं किया जाता, तबतक भारतीय और अधिक कष्ट सहनके बिना संकट समाप्त करने में सरकारकी सहायता नहीं कर सकते । उन्होंने प्रस्ताव किया कि यदि सरकार इस अनुरोधको न माने तो उन सभीको नये सालके पहले दिन फिरसे संघर्ष के कारण कष्ट-सहन करने और फिरसे जेल काटने तथा कूच करनेके लिए तैयार रहना चाहिए । मुक्त और गिरमिटिया भारतीयोंको उनको यही सलाह थी । यदि वे संघर्षसे अलग रहकर शान्त बने रहे तो उनकी मातृभूमिमें उनके सभी देशवासी और समूचा ब्रिटिश साम्राज्य उनको नीची नजरसे देखने लगे । उनको अपनी अन्तरात्माकी आवाजके मुता- बिक चलना और बिना किसी हिचकके आगे बढ़ चलना चाहिए । उन्होंने जब अपने मनमें कुछ ठान लिया है, तो उनको रहना चाहिए, भले ही उन्हें अपने प्राणोंसे ही हाथ क्यों न धोना पड़े। कैलेनवैक, पोलक और रिचने भी भाषण किये । प्रस्ताव पास हुए कि (१) समाज अपनी प्रतिष्ठाके विचारसे आयोगके सामने साक्ष्य प्रस्तुत न करे, क्योंकि उसके सदस्यों के चुनाव के मामले में उनसे परामर्श नहीं किया गया और क्योंकि समाजके हितोंका प्रतिनिधित्व करनेके लिए किसीको भी नहीं लिया गया है। (२) सुझाव रखते हुए कि आयोगमें शाइनर और रोज-इन्स या यूरोपीय जातिके अन्य ऐसे प्रमुख दक्षिण आफ्रिीकियोंको सम्मिलित किया जाये, जिनकी नामजदगीसे भारतीय समाज सहमत हो । (३) अनुरोध करते हुए कि यदि सभी सम्बद्ध हितोंको पर्याप्त प्रतिनिधित्व देनेके लिए सरकार अतिरिक्त सदस्योंको सम्मिलित करनेकी बात मंजूर करे तो सभी सत्याग्रही कैदियोंको तुरन्त रिहा कर दिया जाना चाहिए । तव भारतीय समाज आयोगका प्रतिवेदन प्रकाशित होने तक के लिए सत्याग्रह स्थगित कर देगा, लेकिन यदि सरकार इन अनुरोधोंको मानने से इनकार कर देगी, तो समाजको तुरन्त ही नई