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परिशिष्ट

भी हालत में प्रस्तावपर भारत सरकारके साथ समझौतेकी कोई व्यवस्था किये बिना ध्यान नहीं दिया जा सकता।

ग्लैड्स्टन

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: ५५१/४६

(२) उपनिवेश कार्यालयको गवर्नर-जनरलका तार

दिसम्बर १९, १९१३

गोपनीय वकील जायेगा लेकिन अपने कलके गोपनीय तार संख्या २ के बारेमें । जे० सी० स्मटस बताते हैं कि सॉलोमन उनकी कठिनाइयोंका निराकरण नहीं कर सके लेकिन औपचारिक घोषणाके बाद कुछ करनेको नहीं बच रहता । उनका खयाल है यहाँके भारतीयोंके लिए शाइनर-जैसा कोई योग्य दक्षिण अफ्रीका के किसी अन्य योग्य वकील को रख लेना बहुत ही बेहतर होगा। रख लेना सर्वोत्तम बात होगी। इससे भारत- सरकारका उद्देश्य सिद्ध हो अगर भारत सरकार ही कोई कानूनी सलाहकार नियुक्त करना चाहे तो भारत-सरकारके सूत्रधारोंके दृष्टिकोणसे झाइनर अथवा दक्षिण आफ्रिकाके किसी अन्य योग्य वकीलको रख लेना बहुत ही बेहतर होगा । स्वयं सॉलोमन भी यही रास्ता अपनानेपर जोर देते हैं क्योंकि भारतसे सलाह भेजनेमें जो जबर्दस्त देरी होगी उसके कारण आयोगको, जिसकी है और जो फिर असुविधा होगी । गांधी सूचित करते हैं कि यहाँके भारतीयोंने किया है कि वे आयोगको स्वीकार करेंगे या नहीं । देनेका निश्चय कर लिया तो बहुत सम्भव है कि आयोग भंग और अगर उसके बाद फिर सत्याग्रह और हड़ताल प्रारम्भ की लोग बहुत चिढ़ जायेंगे और फिर शायद स्थिति बहुत मन्त्रियों और आयोगने भारतीय तथा साम्राज्याय सरकारोंके यथासम्भव पूरी कोशिश की है माध्यमसे भारत सरकारको बैठक कल ही स्थगित हुई १२ जनवरीसे डर्बनमें अपना कार्य प्रारम्भ करनेवाला है, बहुत अभी यह अगर तय नहीं उन्होंने गवाही न कर दिया जाये । जायेगी तो यहाँके खतरनाक हो जायेगी । मेरे विचारोंको तुष्ट करनेके लिए मुझे भरोसा कि आप भारत कार्यालयके समझाने की करेंगे कि आयोगको स्वीकार करना कितना अधिक महत्त्वपूर्ण है, और दक्षिण आफ्रिकामें ब्रिटिश भारतीयोंका हर प्रकारको उत्तेजनात्मक कार्रवाईसे हाथ खींचे रहना कितना अधिक जरूरी है । यह बात कोशिश ग्लैड्स्टन