पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/६२१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
परिशिष्ट ११
महान कूच

[फोक्सरस्ट

नवम्बर ८, १९१३]

समय और जगहकी कमीके कारण अपने पिछले अंकमें हम ट्रान्सवालके कूचका पूरा विवरण देने में असमर्थ रहे । इस कूचका एक बहुत ही दिलचस्प वर्णन 'ट्रान्सवाल लीडर' के विशेष संवाददाता द्वारा हमें प्राप्त हुआ है। संवाददाता फोक्सरस्ट उसकी कार्यप्रवृत्ति देखनेके लिए गया था। न्यायाधीशके सामने मामलेका विवरण देते हुए संवाददाता लिखता है:-

अपनी सफाई पेश करनेके पहले श्री गांधीने अपनेको पुनः रिमांडपर छोड़ देनेके लिए मजिस्ट्रेटसे कहा ताकि वे कूच जारी रख सकें। इस माँगके समर्थन में उन्होंने वही दलीलें पेश कीं, जो उन्होंने जनरल स्मटसके नाम अपने तारमें पेश की थीं । सरकारी वकील गवाहियोंके लिए तैयार नहीं था, इसलिए उसने प्रार्थना की और उसे मोहलत दे दी गयी । उसके बाद श्री गांधीकी ओरसे जमानतको प्रार्थना की गई; सरकारी वकीलने इसका विरोध किया। फिर भी न्यायाधीशने कहा कि ऐसा कोई भी अभियुक्त जिसपर करके अपराधका आरोप न हो, कानूनन जमानतपर छोड़ा जा सकता है; श्री गांधीको भी इस अधिकारसे वंचित नहीं किया जा सकता । जमानतकी रकम ५० पौंड निश्चित की गई और स्थानीय भारतीय दूकानदारोंने तत्काल ही उसका प्रबन्ध कर दिया और श्री गांधीको एक हफ्तेकी जमानतपर छोड़ दिया गया।

वे लगभग उसी समय मोटरगाड़ीते कूच करनेवालोंके दलमें शामिल होनेके लिए रवाना हो गये । इसलिए अगर ऐसा माना जाये कि सरकारने भारतीय जनताके नेताको गिरफ्तार करके प्रदर्शनको समाप्त कर देनेकी आशा की थी और सोचा था कि लोगोंका उत्साह ठंडा हो जायेगा और वे 'रैंड' तक जानेका संकल्प छोड़ देंगे, तो उस आशापर पूरी तरह पानी फिर गया है। जिस मोटरमें बैठकर श्री कैलेनबैक और श्री गांधी कूच करनेवालोंके दलसे जाकर मिले, उस मोटरमें मैं भी उनके साथ था। यह स्थान फोक्सरस्टसे कोई ३३ मील दूर होगा । दलका मुकाम उस दिन क्रोमद्राई स्टेशनपर जो स्टैंडर्टनके पास है, होना था। दल इस समय तक उसके करीब पहुँच चुका था। रैंडकी घाटियों तक जानेवाला यह रास्ता हरे-भरे सुन्दर प्रदेशसे होकर गुजरता है। मौसम सुहावना था और कूच करनेवाले वेफिकीसे चलते चले जा रहे थे । उनके चेहरे पर थकान के कोई चिह्न नहीं थे । जब मोटरगाड़ी उनके पास पहुंची, उस वक्त वे लोग जनरल बोयाके फार्मसे थोड़ी ही दूर रह गये थे । गांधीजी जब उनके पास जाकर उतरे, तो सारा दल असाधारण उत्साहसे भर गया। इसके पहले गाड़ी पारडेकराल पर रुकी थी । उस समय श्री गांधीने स्त्रियोंसे उनका उत्साह बढ़ानेवाली दो-चार बातें कहीं। वहाँ बूढ़े और कमजोर लोग चलते-चलते थककर रुक गये थे । श्री गांधीने न्यू कैसिलके एक डॉक्टर द्वारा भेजी कुछ दवाएँ उन लोगोंके लिए वहीं छोड़ दीं । रास्ते-भर दलले पिछड़े हुए लोग मिलते रहे । वे गांधीजीको देखते ही पंक्तिमें खड़े हो जाते और 'बापू' कहकर उन्हें पुकारते ।

रसद

कूच करनेवालोंको जो रसद दी जाती है, उसमें प्रति व्यक्ति डेढ़ पौंड रोटी और एक औंस चीनी दी जाती है इस न-कुछ रसद ] के बावजूद कूच करनेवाले प्रसन्न हैं और उनकी शान्ति तो