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परिशिष्ट १०

उपनिवेश कार्यालयको भेजे गये गवर्नर-जनरलके खरीतेका अंश

प्रिटोरिया

नवम्बर ६, १९१३

जान पड़ता है कि सरकारके चुप बैठे रहनेसे श्री गांधी उलझनमें पड़ गये हैं और उन्होंने सरकारको लिखा है कि प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके उनके रहने और खानेका प्रबन्ध करना सरकारका काम है।

जनरल स्मटसने गत सोमवारको अपनी नीतिके विषय में मेरे सचिवसे बात की। उन्होंने बताया कि ट्रान्सवालके निष्क्रिय प्रतिरोधियोंकी ओर बिलकुल ध्यान न देनेकी उनकी नीतिका तात्कालिक असर तो यही हुआ था कि प्रतिरोध बिलकुल ठप हो गया था। उनकी समझ में यदि नेटालके हड़तालियोंके बारेमें भी वैसी ही नीति बरती जाये तो परिणाम भी वैसा ही निकलेगा । जान पड़ता है कि श्री गांधी बड़ी अड़चनमें पड़ गये हैं। स्टोनकी तरह वे अपने द्वारा रचे गये इस असुरसे त्रस्त हो गये हैं और यदि अब इसकी कोई जिम्मेदारी उन्हें न उठानी पड़े, तो उन्हें बड़ी राहतका अनुभव हो । विभाग उन्हें गिरफ्तार करना चाहता था, किन्तु मन्त्रीने इस नीतिको उचित नहीं समझा । यदि श्री गांधी गिरफ्तार कर लिये जाते, तो उन्हें हड़तालियोंकी अपनी सेनाके भरण-पोषणको जिम्मेदारीसे छुटकारा मिल जाता । जबतक वे बाहर हैं, भारतीय अपनी आवश्यकताओंकी पूर्तिके लिए उन्हींकी ओर देखेंगे। इसलिए जनरल स्मट्सने हस्तक्षेप न करनेकी अपनी नीतिंपर दृढ़ रहनेका प्रस्ताव किया और यह तय कर लिया कि वे ट्रान्सवालमें आनेवाले हड़तालियोंके मार्ग में कोई बाधा नहीं डालेंगे । ये हड़ताली व्यापारी वर्गके नहीं हैं और इसलिए वे किसी प्रकारको हानि पहुँचाने में असमर्थ हैं। इसके सिवा अगर सब नहीं, तो इनमें से ज्यादातर लोगोंको बादमें नेटाल भेजने में कोई कठिनाई नहीं होगी। अभी वे बिलकुल शान्त हैं और यदि बादमें भूख या अन्य कष्टोंके कारण उपद्रव भी मचाने लगे, तो उसका आसानीसे इन्तजाम किया जा सकता है। अन्त में यह भी सम्भव है कि जब उन्हें रसद आदि मिलना बन्द हो जाये, वे अपने-अपने कामोंपर नेटाल जानेकी खुद ही माँग करने लगें । ऐसी परिस्थितिमें हम उनके लौटनेके लिए वाहन आदिका प्रबन्ध कर देंगे । श्री स्मटसका ख्याल है कि श्री गांधी कोयला खानोंमें हड़तालके सफल हुए बिना चीनी बनानेके काममें लगे हुए मजदूरोंके बीच भी हलचल फैलानेकी कोशिश नहीं करेंगे।

अनुमान है कि इस समय कूच करनेवाले हड़तालियोंकी संख्या ४,००० है । श्री जॉर्जेसने आज मेरे सचिवको बताया कि आज सवेरे लगभग २,४०० लोगोंने ट्रान्सवालमें प्रवेश किया, जिनमें से १३० स्त्रियाँ और ४० बच्चे भी थे । जब वे प्रान्त में काफी दूर तक पहुंच चुकेंगे, ख्याल है कि उस समय अधिकारियोंकी नरमीको देखकर श्री कैलेनबैक और पोलक अन्य दलोंका नेतृत्व करके सीमा पार करेंगे । उस हालत में निषिद्ध प्रवासियोंको प्रान्तमें प्रवेश करनेपर उकसाने और उसमें मदद करनेके अभियोगमें ये दोनों सज्जन गिरफ्तार कर लिये जायेंगे -विभाग इन्हें पकड़नेकी फिक्रमें है । जहाँतक बनेगा, दलके साधारण लोगोंसे छेड़छाड़ नहीं की जायेगी । श्री पोलककी गिरफ्तारी इसलिए और भी जरूरी है कि निधि इकट्ठी करनेके लिए उनका भारत भेजा जाना तय किया जा चुका है ।

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: ५५१/४५