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परिशिष्ट

एक हो । जिन लोगोंकी एक ही पत्नी दक्षिण आफ्रिकामे हो, उनके लिए यही प्रथा जारी रखी जायेगी । परन्तु जनरल स्मटसको खेद है कि वे इस सम्बन्ध में इससे अधिक कुछ नहीं कर सकेंगे; वे दक्षिण आफ्रिकाके वर्तमान निवासी भारतीयोंकी एकाधिक पत्नियोंको प्रवेशकी अनुमति नहीं दे सकेंगे।

आपका सच्चा,

ई० एम० जॉर्जेस

श्री मो० क० गांधी

फीनिक्स

नेटाल

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५८३५) की फोटो नकलते।

परिशिष्ट ९

उपनिवेश कार्यालय को भेजे गये गवर्नर-जनरलके खरीतेका अंश

प्रिटोरिया

अक्तूबर २३, १९१३

इसी महीनेकी तारीख १७ को श्री गांधी नेटालके कोयला खानोंमें गये और उन्होंने स्थानीय खानों और होटलों में काम करनेवाले अनेक गिरमिटिया भारतीयोंको हड़ताल करनेपर उकसाया। उन्होंने कहा कि संसदके आनेवाले सत्र में जबतक सरकार ३ पौंडी करको रद कर देनेका वचन न दे दे तबतक वे लोग कामपर न जायें । श्री गांधीने इस प्रकार संघर्षके एक नये पहलूका उद्घाटन किया । गत मास तारीख २८ को श्री गांधीने श्री जॉर्जेसको जो पत्र लिखा था और जिसे मैंने अपने खरीते, गोपनीय (२) के साथ नत्थी किया है, उससे इस बातका आभास मिल जाता था कि अब हड़तालको नीति अपनाई जायेगी। हड़तालकी यह हलचल वैसे तो मेरी समझमें सरकारको किसी बड़ी चिन्तामें नहीं डाल सकी है; फिर भी इसकी प्रगतिकी पर्याप्त तफसील मुझे अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। यहाँ आजके 'रैंड डेली मेल' और 'ट्रान्सवाल लीडर' के कुछ अंक संलग्न किये जा रहे हैं। उनसे इस विषयपर कुछ प्रकाश पड़ेगा । इनसे स्पष्ट हो जायेगा कि श्री गांधी के अनुसार हड़तालियोंकी संख्या २,००० है और इसका असर ६ खानोंपर पड़ा है। किन्तु 'ट्रान्सवाल लीडर' का डर्बन-संवाददाता कहता है कि इसका असर ९ खानोंपर पड़ा है। श्री जॉर्जेसने आज मेरे सचिवको कहा कि न्याय विभागकी ओरसे जो सबसे ताजा रिपोर्ट मिली है, उसमें हड़तालियोंकी संख्या लगभग १,५०० बताई गई है । तथापि, इस बातका उनको निश्चय नहीं था कि यह अनुमान हड़तालके पूरे क्षेत्रपर लागू है अथवा नहीं । और इसलिए उनकी समझमें यह संभावना भी है कि श्री गांधी द्वारा दी गई संख्या ठीक हो। इसके बारे में बिलकुल ठीक जानकारी तो प्राप्त नहीं है। सचिवने मुझसे यह भी कहा कि न्याय विभाग के सचिवोंको बताया गया है कि संघर्षके कमजोर पड़ते जानेके लक्षण दिखाई दे रहे हैं; हड़ताली कामपर वापस लौटने लगे हैं। नेटालके रेलवे विभागमें काम करनेवाले कुछ भारतीयोंसे भी हड़ताल करानेकी कोशिश की गई जान पड़ती है। किन्तु इस मामले में इससे ज्यादा कोई खबर नहीं मिली; और इसलिए जान पड़ता है कि अभी तक तो इस प्रयत्नको कहने लायक सफलता नहीं मिली है ।

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकस : सी० ओ० ५५१/४५