सकता है, और अधिकारी भी गवाहोंसे जिरह कर सकता है और उसका प्रतिनिधित्व भी वकील कर सकता है।
२० से २४ तक के खण्ड अनुमतिपत्रों और अस्थायी अनुमतिपत्रोंसे सम्बन्धित हैं। स्थायी अनुमति- पत्रोंपर एक पौंडकी फीस लगेगी और शर्तोंका उचित पालन सुनिश्चित बनानेके लिए १० से १०० पौंड तक जमा कराने पड़ेंगे।
खण्ड २० के उपखण्ड (३) में कहा गया है :-
प्रत्येक अनुमतिपत्रको यह एक अनिवार्य शर्त रहेगी कि अनुमतिपत्र-धारी व्यक्ति अपने अनुमति- पत्रमें उल्लिखित अधिकारियोंके सामने उसमें नियत समयों और स्थानोंपर उपस्थित होता रहेगा; और यदि वह कोई झूठा या भ्रामक पता देगा, तो उसका अनुमतिपत्र और जमा की हुई राशि जन्त की जा सकेगी और उसे निषिद्ध प्रवासी मानकर उसपर कार्यवाई की जा सकेगी ।" मन्त्रीकी मंजूरीके बिना एक बर्षसे अधिक अवधिके लिए कोई भी अनुमतिपत्र जारी नहीं किया जायेगा । अनुमतिपत्रधारी व्यक्तिको अपनी रवानगीकी सूचना कमसे-कम एक दिन पहले अवश्य देनी होगी।
खण्ड २१ के उपखण्ड (१) में कहा गया है :-
अधिनियमके खण्ड पच्चीसके उपखण्ड (२) के अनुसार, संघ या किसी प्रान्तके विधि-सम्मत निवासियों के नाम जारी किये जानेवाले शिनाख्ती प्रमाणपत्र इन विनियमोंके पाँचवें अनुबन्ध द्वारा निश्चित रूपमें और निर्धारित शर्तों के अधीन होंगे। ऐसे प्रत्येक प्रमाणपत्रके लिए एक पौंड फीस अदा की जायेगी और प्रत्येक प्रमाणपत्र में ऐसी तफसीलें और निशान मौजूद रहेंगे, जो शिनाख्तके लिए जरूरी समझे जायें। गुमशुदा अनुमतिपत्रोंकी नकल लेनेके लिए दो पौंडकी फीस भरनी पड़ेगी।
यदि कोई व्यक्ति शत भंग करे या उसने छल-प्रपंचसे अनुमतिपत्र प्राप्त किया हो, तो अधिकारी उसका अनुमतिपत्र रद कर सकेगा।
२५ से ३० तकके खण्ड निषिद्ध प्रवासियोंकी नजरबन्दीले सम्बन्धित हैं।
खण्ड ३१ में व्यवस्था है कि इन विनियमोंको भंग करनेका दण्ड ५० पौंडका जुर्माना या तीन महीनेकी कठोर अथवा सादी कैद है।
( इसके अन्तर्गत अपेक्षित सूचना अंग्रेजी या डच भाषामें दी जानी चाहिए )
यात्रारम्भका बन्दरगाह
गन्तव्य बन्दरगाह
आयु
लिंग
जाति
राष्ट्रीयता
यदि पत्नी साथ हो, तो उसका नाम लिखिए