पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/६१३

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[ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, २८-६-१९१३ परिशिष्ट ५७३ तक नहीं माना जायेगा जबतक कि वह उसमें तीन वर्ष तक रह न चुका हो। ऐसे निवासमें इस अधिनियम या किसी अन्य कानूनकी अनुमतिसे किये गये सशर्त निवासको या अस्थायी निवासको या किसी जेल सुधार-घर ( रिफॉरमेटरी) या पागलखाने में कैदीको हैसियत में किये गये निवासको शामिल नहीं माना जायेगा; और इस अधिनियम के उद्देश्योंकी हद- तक, यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छासे संघ या प्रान्तके (किसी विशेष या अस्थायी कारणोंको छोड़कर) बाहर रहने लगे और उसका मंशा संघ या प्रान्त ( जैसा घर बसानेका हो तो, ऐसा भी प्रसंग हो ) से बाहर माना जायेगा कि उसने ( जैसा भी प्रसंग हो ) दिया है । किसी प्रान्तमें संघमें या अधिवासका अधिकार खो [ यह एक नई व्याख्या है । ] परिशिष्ट ७ प्रवासी अधिनियम के विनियम प्रवासी विनियमन अधिनियम के अन्तर्गत विनियमोंका प्रकाशन १५ तारीखके 'गजट में किया गया था । उनको ३१ खण्डोंमें बाँटा गया है । उनमें से, खण्ड १ से ६ तकका सम्बन्ध जहाजोंकी जाँच-पड़ताल और उनके नियन्त्रणसे है । खण्ड ७ से १५ तकका सम्बन्ध यात्रियोंकी जाँच-पड़तालसे है । खण्ड ७ में व्यवस्था की गई है कि संघके बन्दरगाहोंपर उतरनेवाले सभी यात्रियोंकी जाँच-पड़ताल साधारणतया संघके उस बन्दरगाहपर की जायेगी जहाँ जहाज सबसे पहले रुकेगा । खण्ड ८ में व्यवस्था है कि प्रवासी अधिकारी जहाजपर ही या अन्य किसी सुविधाजनक स्थान- पर यात्रियोंकी जाँच-पड़ताल करेगा । प्रत्येक व्यक्तिको जहाजसे उतरने की अनुमति मिलने से पहले द्वितीय अनुबन्धमें बतलाये गये रूपमें एक इलफनामा भरना पड़ेगा । खण्ड ९ में अधिकारीको यह सत्ता दी गई है कि वह यात्रियोंको अपने हाथसे हलफनामा लिखनेके लिए कह सकता है और इस सम्बन्धमें किसी दुभाषियेसे सहायता ले सकता है । खण्ड १० की यह अपेक्षा है कि अधिकारी निषिद्ध प्रवासी पाये जानेवाले लोगोंके सम्बन्धमें जहाजके मास्टरको सूचित कर देगा; उसके बाद उनको सही-सलामत हिरासत में बनाये रखनेकी जिम्मेदारी मास्टर की होगी । खण्ड ११ में व्यवस्था है कि सारी जाँच-पड़तालको लिखित रूप दिया जायेगा । खण्ड १२ द्वारा अधिकारीको प्राधिकृत किया गया है कि सन्देह होनेपर वह कुछ समय के लिए जाँच-पड़ताल स्थगित कर सकता है ।