पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/६१२

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५७२ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय (२) मन्त्री अपने विवेकाधिकार से किसी ऐसे व्यक्तिको शिनाख्ती प्रमाणपत्र देनेकी आज्ञा दे सकता है जो संघ में या किसी प्रान्त में वैध ढंगपर निवास कर रहा है, और जो वहाँ वापस आनेकी नीयत रखते हुए वहाँसे बाहर जाना चाहता है किन्तु किसी भी वजहसे उसे यह आशंका है कि वापस लौटनेपर वह यह सिद्ध नहीं कर सकेगा कि वह निषिद्ध प्रवासी नहीं है । २८. ट्रान्सवालके १९०८ के अधिनियम ३६ की किसी विपरीत व्यवस्थाके बावजूद, ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसे इस अधिनियम के खण्ड चारकी व्यवस्था- असे बरी कर दिया गया है, या जिसे इस अधि- नियमके खण्ड पच्चीसके उपखण्ड (१) के अन्तर्गत जारी किये गये अस्थायी अनुमतिपत्रके आधारपर संघके किसी भी भाग में प्रवेश करने और निवास करनेकी अनुमति दे दी गई है, उपर्युक्त ट्रान्सवाल अभि- नियमकी व्यवस्थाओंके अन्तर्गत पंजीयन करानेकी शर्तसे बरी माना जायेगा । (२) मन्त्री अपने विवेकाधिकार से किसी ऐसे व्यक्तिको शिनाख्ती प्रमाणपत्र देनेकी आशा दे सकता है जो संघमें वैध ढंगपर निवास कर रहा है और जो वहाँ वापस आनेकी नीयत रखते हुए वहाँसे बाहर जाना चाहता है किन्तु किसी भी वजहसे उसे यह आशंका है कि वापस लौटनेपर वह यह सिद्ध नहीं कर सकेगा कि वह निषिद्ध प्रवासी नहीं है । (३) मन्त्री संघसे बाहर किन्हीं व्यक्तियोंको यह अधिकार दे सकता है कि वे किसी भावी प्रवासीको इस आशयका प्रमाणपत्र दे दें कि वह खण्ड चारके उपखण्ड (१) (क) से बरी है, किन्तु ऐसा कोई प्रमाणपत्र संघके अन्दर तबतक मान्य नहीं किया जायेगा जबतक प्रमाणपत्रका मालिक प्रवासी अधिकारीको विनियमों द्वारा निर्धारित शिनाख्ती प्रमाण देकर यह सिद्ध न कर दे कि जिस प्रवासीको वह प्रमाणपत्र मूलतः दिया गया था, वह व्यक्ति वही है । २८. ट्रान्सवालके १९०८ के अधिनियम ३६ की किसी विपरीत व्यवस्थाके बावजूद ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसे इस अधिनियमके खण्ड चारके उपखण्ड (१) के अनुच्छेद (क), (ख), (ग), (घ) की व्यवस्थाओंसे बरी कर दिया गया है, या जिसे इस अधिनियम के खण्ड पच्चीसके उपखण्ड (१) के अन्तर्गत जारी किये गये अस्थायी अनुमतिपत्रके आधारपर संघके किसी भी भाग में प्रवेश करने और निवास करनेकी अनुमति दे दी गई है, उपर्युक्त ट्रान्सवाल अधिनियम- की व्यवस्थाओंके अन्तर्गत पंजीयन करने की शर्त से बरी माना जायेगा । (३०) इस अधिनियमसे और इसके अन्तर्गत बनाये गये विनियमों में, यदि वह संदर्भ के विपरीत अर्थ न देता हो, तो – “अधिवास " का अर्थ होगा वह स्थान जहाँ किसी व्यक्तिका वर्तमान घर है, या जिसमें वह रहता है, या जिसे वह अपना वर्तमान स्थायी रहनेका घर मानकर उसमें लौटता है, न कि केवल किसी विशेष या अस्थायी उद्देश्यते; और इस अधिनियमको रूसे और किसी व्यक्तिका संघमें पा किसी प्रान्तमें (जैसा भी प्रसंग हो ) अधिवास तब-