पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/६१०

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५७० सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय (छ) कोई भी व्यक्ति जिसके बारेमें प्रमाणोंसे प्रवासी अधिकारीको यह सन्तोष हो जाये कि वह इस खण्ड के अनुच्छेद (च) में वर्णित किसी व्यक्तिकी पत्नी है, अथवा सोलह वर्ष से कम आयुको सन्तान है, बशर्ते कि ऐसी पत्नी या सन्तान ( जैसा भी प्रसंग हो) पूर्ववर्ती खण्डके उपखण्ड (१) (घ) (च) (छ) (ज) या (ञ) में वर्णित व्यक्ति न हो; [अनुच्छेद (ज) छोड़ दिया गया है । ] लेकिन शर्त यह है कि इस खण्ड में कही गई किसी बातका ऐसा अर्थ नहीं लगाया जायेगा जिससे पूर्ववर्ती खण्डके उपखण्ड (१) (क) की धाराओंसे प्रभावित होनेवाले किसी व्यक्तिको किसी ऐसे प्रान्त में प्रवेश करने और निवास करनेका अधिकार प्राप्त होता हो जिसमें उसका पहले वैध निवास न रहा हो; और फिर शर्त यह है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति, जो किसी प्रान्तमें पहले वैध ढंगसे निवास कर चुका हो किन्तु वहाँसे तीन वर्ष तक, या इस अधिनियमसे रद किये जानेवाले किसी कानूनके अधीन जारी किये गये अनुमतिपत्रमें निर्दिष्ट अवधिसे अधिक समय तक अनुपस्थित रहनेके बाद, प्रवेशका दावा करता है, या उस प्रान्तमें पाया जाता है तो उसे इस खण्ड में उल्लिखित छूटोंका अधिकारी नहीं माना जायेगा । ७. कोई भी ऐसा व्यक्ति, जिसका वर्णन ऑरेंज फ्री स्टेटको विधि-पुस्तिकाके अध्याय ३३ में किया गया है, इस तथ्य के बावजूद कि वह किसी प्रान्त- विशेषका वैध निवासी है अथवा उसे संघ में प्रवेश करनेकी अनुमति दे दी गई है, अब भी उपर्युक्त अध्याय ३३ के खण्ड सात और आठकी व्यवस्थाओंके सभी तरह अधीन होगा, और यदि वह उन व्यवस्थाओंके विपरीत कोई काम करेगा तो उसके ऊपर इस अधिनियमके अन्तर्गत ऑरेंज फ्री स्टेटमें निषिद्ध प्रवासीके रूपमें कार्रवाई की जायेगी । ८. (१) किसी भी निषिद्ध प्रवासीको संघमें या (जैसा भी प्रसंग हो ) किसी प्रान्तमें, जहाँ उसका निवास अवैध है, कोई व्यापार करने या अन्य कोई (छ) कोई भी व्यक्ति जिसके बारेमें प्रमाणसे प्रवासी अधिकारीको, या अपीलका मामला हो तो निकायको यह सन्तोष हो जाये कि वह इस खण्डके अनुच्छेद (च) के द्वारा बरी कर दिये गये व्यक्ति की पत्नी या सोलह वर्षंसे कम उम्रकी सन्तान है और इसमें सबसे बाहर भी किसी धार्मिक मतके अनुसार सम्पन्न हुए एकपत्नीक विवाहवाली हर पत्नी और ऐसे विवाह सम्बन्धसे उत्पन्न हर सन्तान ( जैसा भी मामला हो ) पूर्ववर्ती खण्डके उपखण्ड (१) (घ), (च), (छ), (ज), या (ञ) में वर्णित व्यक्ति न हो; [ अनुच्छेद (ज) छोड़ दिया गया है । ] लेकिन शर्त यह है कि इस खण्डमें कही गई किसी बातका ऐसा अर्थ नहीं लगाया जायेगा जिससे पूर्ववर्ती खण्डके उपखण्ड (१) (क) की धाराओंसे प्रभावित होनेवाले किसी व्यक्तिको किसी ऐसे प्रान्त में प्रवेश करने और निवास करनेका अधिकार प्राप्त होता हो जिसमें उसका पहले वैध निवास न रहा हो ७. कोई भी ऐसा व्यक्ति, जिसका वर्णन ऑरेंज फ्री स्टेटकी विधि-पुस्तिका के अध्याय ३३ में किया गया है, इस तथ्य के बावजूद कि वह किसी प्रान्त- विशेषका वैध निवासी है अथवा उसे संघमें प्रवेश करनेकी अनुमति दे दी गई है, अब भी उपर्युक्त अध्याय ३३ के खण्ड सात और आठकी व्यवस्थाओंक सभी तरह अधीन होगा, और यदि वह व्यवस्थाओंके विपरीत कोई काम करेगा तो उसके ऊपर इस अधि- नियमके अन्तर्गत ऑरेंज फ्री स्टेटमें निषिद्ध प्रवासीक रूपमें कार्रवाई की जायेगी । ८. (१) किसी भी निषिद्ध प्रवासीको संघमें या (जैसा भी प्रसंग हो ) किसी भी प्रान्तमें, जहाँ उसका निवास अवैध है, व्यापार करने या अन्य कोई धन्धा