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परिशिष्ट

कि केपकी जनताका रुख बिलकुल उचित है। मौजूदा यूरोपीय भाषाओं सम्बन्धी शत पूरी कर सकनेवाले शिक्षित भारतीयोंके लिए सरकारने दरवाजे खुले रखे हैं; और इस प्रकार उसने शिक्षित व्यक्तियोंके आन्तरप्रान्तीय आवागमन सम्बन्धी आपकी बड़ी माँगको पूरा कर दिया है । किन्तु संसदने पूरी तरह विचार करनेके बाद नेटालमें जन्मे प्रत्येक भारतीयके केप में प्रवेशके अधिकारको अस्वीकार किया है । जैसा कि पहले सूचित किया जा चुका है, फ्री स्टेटके कानूनोंके अध्याय ३३ के अन्तर्गत ज्ञापनके प्रश्नको प्रशासनिक तौरपर निपटाया जा सकता है, और निपटाया भी जायेगा । कानूनकी शर्तोंमें परिवर्तन करनेका कोई निश्चित सुझाव देनेका परिणाम होगा ऑरेंज फ्री स्टेट द्वारा उनका कड़ा विरोध, सम्भवतः विधेयकको भो वापस लेना पड़े और यह एक ऐसी स्थिति है जिसका सरकार इस समय सामना करनेको तैयार नहीं है । आपने स्वयं केप टाउन अनेका जो प्रस्ताव रखा उसकी मन्त्री महोदय बड़ी कद्र करते हैं, किन्तु वे उसकी आवश्यकता नहीं समझते; क्योंकि आपने जो मुद्दे उठाये हैं उनके बारेमें विधान मण्डलके सभी सदस्योंके रुखसे वे पूरी तरह अवगत हैं, और ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया संसद् विचाराधीन मुद्दोंमें से किसी एकके अनुसार भी विधेयकमें कोई जा सकता कि परिवर्तन करेगी।

[अंग्रेजी]

इंडियन ओपिनियन, ७-६-१९१३


(२) उपनिवेश कार्यालयको गवर्नर जनरलका तार

मई २९, १९१३

गोपनीय

सम्भव है कि प्रवासी विधेयकमें रियायतें दिये जानेके बाद भी आन्दोलनकारी अपने निजी कारणोंवश भारतीय समाज में आन्दोलन जारी रखें । यदि इसके फलस्वरूप सत्याग्रहका पुनरारम्भ हुआ तो दक्षिण आफ्रिकाके लोकमतपर खराब प्रभाव पड़ेगा और शायद ऐसा समझा जायेगा कि भारतीयोंने सहानुभूतिपूर्ण व्यवहारका हक खो दिया है। मुझे आशा है आप भारत सरकारको इसकी सूचना देंगे और उससे गांधी तथा अन्य लोगोंपर अपने प्रभावका उपयोग करनेको कहेंगे । मुझे फिशरसे ज्ञात हुआ है कि लगभग सभी स्त्रियों और बच्चोंको नेटालके तीन-पौंडी करसे मुक्ति दी जायेगी, मैं इस करको बिलकुल खत्म करानेकी भरसक कोशिश कर रहा हूँ। मामला अभी तक विचाराधीन है।

ग्लैड्स्टन

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स : ५५१/४०