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४१९. पत्र : छगनलाल गांधीको'

[ लन्दन

दिसम्बर १०, १९१४के आसपास ]

श्री चार्ल्स रॉबसके साथ मेरे अच्छे सम्बन्ध स्थापित हो गये हैं। वैसे ही उनकी पत्नीके साथ भी । बीमारीकी अवस्थामें उन्होंने मेरी बहुत देखभाल की।

कुमारी स्मिथकी माँका देहावसान हो गया है। [ तुम ] अपने तथा प्रेसकी ओरसे शोक प्रकट करते हुए एक पत्र लिखना । प्रेसकी ओरसे लिखते समय श्रीमती वेस्टसे पूछना। वे बहुत भली महिला हैं और सदा हमारी बड़ी सहायता करती रहती हैं । भाई सोराबजी कदाचित् अपनी पत्नीको इंग्लैंड बुलायेंगे। यदि बुलाएँ तो उनके मँगाने पर किरायेके लिए १०० पौंड तक देना।

बैंकका, सत्याग्रहका तथा मगनलालके ले जानेके बाद जो बचा हो, इन सबका हिसाब मुझे तुरन्त लिख भेजना । अब भारतमें, हिसाबका प्रकाशित किया जाना सम्भव नहीं हो सकेगा। देरीके लिए हम दोषी नहीं हैं।

यदि मेरा स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो 'इंडियन ओपिनियन' के लिए लिखना शुरू करूंगा । शान्ति, शिवपूजन और नवीनके लिए उनके माँ-बापसे पैसा लेना जरूरी है। वे शिवपूजनके लिए न दे सकें तो लिखना । तब उसका [ खर्च ] सत्याग्रहकोषसे लिया जायेगा । शान्तिपर पहलेसे ही कुछ हिसाब बाकी है। चि० जयशंकरको उसकी याद दिलाना। किन-किन लोगोंसे क्या मिला; थैलीमें कितना पैसा मिला। सबका हिसाब लिख भेजना। आपत्कालीन कोष (इमरजेंसी फण्ड) का हिसाब भी देना । ट्रान्सवाल [ ब्रिटिश ] भारतीय संघका हिसाब-किताब मुझे सौंप दिया गया है; यह बात मैंने तुमको नहीं बतलाई । सौंप दिये जानेके कागजात मेरे पास हैं। वह पैसा मेरे हिसाबमें जमा करके उनके खाते में चढ़ा देना । वह भी थैलीमें दाखिल कर देना । मुझे लगता है कि थैलीका उपयोग भारतकी संस्था चलाने के लिए करना पड़ेगा। जो सत्याग्रही लड़के हैं उनका खर्च सत्याग्रह-कोषमें से किया जायगा, अन्य लड़कोंका नहीं। वैसे भारत पहुँचनेपर मैं इसे अधिक अच्छी तरहसे समझ सकूँगा।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजी के स्वाक्षरों में मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ६०४७) की फोटो-नकलसे।

१. विषय-वस्तुसे जान पड़ता है कि यह पत्र छगनलाल गांधीको लिखा गया था। इस पत्रके पहले तीन पृष्ठ उपलब्ध नहीं हैं।

२. पत्रमें शान्ति, शिवपूजन और नवीनके खर्चका जो जिक्र आया है उससे प्रतीत होता है कि यह पत्र लगभग उसी समय लिखा गया होगा जब “पत्र : मगनलाल गांधीको "--पिछला शीर्षक लिखा गया था।