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४१८. पत्र : मगनलाल गांधीको

[ लन्दन ]

मार्गशीर्ष वदी ८ [दिसम्बर १०,१९१४]

चि० मगनलाल,

तुम सबके पत्र मिले हैं। अपनी असहाय अवस्था के कारण मैं सबको पत्र नहीं लिख सकता । इस कारण यह पत्र सबके लिए समझकर तुम सब मुझे पत्र लिखते रहा करो।

तुम मेरे वहाँ पहुँचनेपर मुझसे छाछकी छूट माँगनेवाले हो । लेकिन वह मैं यहींसे देता हूँ। वहाँको स्थितिको देखते हुए जो छूट लेनी उचित जान पड़े वह लेना । मुझसे पूछनेकी बाट न जोहना। इतना ही याद रखो [तो ] पर्याप्त है कि सर्वत्र संयमका पालन करते हुए काम करो।

तुम्हारा यह निश्चय कि खेती सच्ची प्रार्थना और परोपकार है [ सर्वथा ] उचित है। खेती करते, खाते, खेलते, घूमते, नहाते अथवा अन्य कोई भी [कार्य] करते समय हरिका नाम लेना उचित ही नहीं, बल्कि कर्त्तव्य है। जो राममय होना चाहे, और उसका प्रयत्न करे, तो उसके लिए अमुक समयकी आवश्यकता नहीं, फिर भी युवकोंके लिए नियमकी जरूरत तो होती ही है, इसलिए जो समय खेती करनेका नहीं है वह समय खास तौरसे प्रार्थनाके लिए निर्धारित कर लो । अर्थात् प्रातःकाल जब अन्धेरा ही हो तब । शास्त्रोंका कथन है कि सन्ध्यादि सूर्योदयसे पहले करना चाहिए। हमने रातको जो समय रखा है, वह ठीक है।

खेती करने में जो उत्साह है उसे और बढ़ाना । फलोंके वृक्ष लगाना।

गेहूँ बम्बईसे मँगाना। देशी चक्कीसे पिसवाना । नारियल अथवा मूंगफली का तेल घरमें निकालना । पानीवाले नारियलको कूटकर उसे कपड़ेमें दबाकर निचोड़ने से घी और दूध दोनों ही मिलेंगे। यह बढ़िया होगा, ऐसा जान पड़ता है। वहाँ कुछ अर्से तक रहना पड़ेगा ही, इसलिए आवश्यक वस्तुओंको इकट्ठा करनेमें कोई हर्ज नहीं है। कलकत्तमें गेहूँ मिलना चाहिए | [ वहाँ लोग] इमलीका इस्तेमाल नहीं करते जान पड़ते।

मैंने पियर्सनको पत्र लिखा है; वे [ सम्भवतः ] तुम्हें वह पत्र दिखायेंगे। तुममें से बड़े [ लड़के ] यदि अलग-अलग शिक्षकोंकी सेवाका भार उठा लें तो उत्तम होगा ।

तुम लोगों में से कुप्पू तथा नायडूके लड़कों और मगनभाईके खर्चका पैसा सत्याग्रह कोषसे निकाला जायेगा । तुम्हारे, मणिलाल आदिके खर्चेके सम्बन्ध मैं देख लूंगा। शिवपूजन, शान्ति और नवीनका खर्चा उनके मां-बाप से लेना है। छोटमका खर्चा सत्या- ग्रह कोषसे निकालना है।

१. यह उपलब्ध नहीं है।