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४१६. पत्र: गो० कृ० गोखलेको

[ लन्दन ]

नवम्बर २६, १९१४

प्रिय श्री गोखले,

आपका तार' मिला। उसको जवाब मैंने दे दिया है। मैं अपनी बीमारीपर काबू नहीं पा सकता; न डॉक्टर ही पा सकते हैं। वे कहेंगे कि यदि मैं उनका कहना पूरी तरहसे मानूँगा तो वे काबू पा सकते हैं। परन्तु वैसा मैं नहीं कर सकता। मैं किन्हीं शर्तोंपर नहीं रह सकता। शाकाहारी डॉक्टर एलिन्सनका खयाल है कि इन परिस्थितियों में मेरा अपना इलाज बिलकुल ठीक है। डॉ० मेहता बहुत ही ध्यान देते रहे हैं। मैं जहाँ भी सम्भव होता है उनकी बात मानता हूँ। पिछले सप्ताह बीमारीने फिर गम्भीर रूप धारण कर लिया था। मैं अभी बिस्तरपर हूँ, परन्तु पहलेसे काफी अच्छा हूँ और लगता है स्वास्थ्य-लाभ कर रहा हूँ। कृपया मेरे बारेमें चिन्तित न हों। यदि स्वास्थ्य नहीं सुधरता तो मैं भारतके लिए रवाना होनेकी कोशिश करूंगा।

हम सब यह चाहते थे कि अपने तारमें आपने अपने स्वास्थ्यके विषयमें कुछ लिखा होता। मैं आशा करता हूँ कि आपका स्वास्थ्य अब काफी अच्छा होगा। फिर आप उस वातावरणमें हैं जिसकी आप कामना कर रहे थे।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (जी० एन० २२५०) की फोटो-नकलसे।





१. यह तार उपलब्ध नहीं है।

२. डॉ० टी० आर० एलिन्सन, लन्दन शाकाहारी संस्थाके सदस्य और सन्तति-निरोधके समर्थक, जिनके स्वास्थ्य एवं आरोग्य-सम्बन्धी साहित्यसे गांधीजी प्रभावित थे।