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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

झटपट हिन्दी सिखाना, नहीं तो वे बेचैन हो जायेंगे। वहाँ रहते हो इसलिए थोड़ी-बहुत बँगला सीख लेना । उसे सीखनमें समय नहीं लगेगा। अगर हो सके तो किसी तमिल सज्जनसे सम्पर्क स्थापित करना । यदि डॉ० मेहता भाई राजङ्गमको दे दें तो ठीक होगा। तुम्हारे ऊपर एकाएक बहुत उत्तरदायित्व आ पड़ा। उसे तुम सफलतापूर्वक निभा सको, यही मेरी कामना है।

शान्तिके बारेमें लिखते हो, सो कैसी शान्ति; बा तथा मैं दोनों ही इसपर विचार करते रहते हैं।

भाई सो [ राबजी ] आदि तो बीमारोंकी सेवा-शुश्रूषा करने चले गये हैं। अपनी तबीयतके कारण मैं नहीं जा सका। अभी जानेके लिए जोर मारता हूँ लेकिन अड़चनें आ जाती हैं।

कविश्री,' श्री एन्ड्रयूज तथा श्री पियर्सनकी सेवा करना । इस बातका ध्यान रखना कि सब लोग बड़ोंका सम्मान करें। तुम सब वहाँके रहनेवालोंसे जल्दी उठना।

मुझे नियमपूर्वक पत्र लिखा करना । बम्बईमें खानेपर प्रति व्यक्तिके हिसाबसे अन्दाजन कितना खर्च हुआ, सो बताना ।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च: ]

यह पत्र सबके लिए है, ऐसा समझना । मुझे तुम्हें जितने कागजात भेजने थे उतने तो नहीं भेज सकता। साथके कागजातोंको पढ़कर [ उनपर ] विचार करना; जमनादासको भी पढ़ाना और सँभाल कर रखना। श्री ऐन्ड्रयूज देखना चाहे तो दे देना । उनके सम्बन्धमें बातचीत करना । दूसरे कागजात मैं फिर भेजूंगा।

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ५७७७) से।

सौजन्य : राधाबेन चौधरी

४१३. पत्र: जमनादास गांधीको

[ लन्दन ]

कार्तिक वदी १०/११, [ नवम्बर १३, १९१४]

चि० जमनादास,

तुम्हारा पत्र बहुत दिनों बाद मिला। हम तो तुम्हें सदा याद करते रहते हैं। अब तुम्हारा विवाह हो जाना चाहिए। तुम्हारा जीवन शुद्ध हो। मैंने तुमसे जो अपेक्षाएँ की हैं उन्हें तुम पूरा करो, यही मेरी कामना है। अटल बनो और जिसे तुम कर्त्तव्य मानो उसका दृढ़तापूर्वक पालन करो । शान्ति और श्रद्धा होगी तो सब-कुछ ठीक होगा। मुझे विस्तारसे पत्र लिखा करना। फिलहाल मेरे लम्बे पत्रकी बाट न जोहना। मेरा स्वास्थ्य ठीक रहता है। अभी सुधारपर है हालांकि कमजोरी बहुत

१. रवीन्द्रनाथ नाथ ठाकुर।