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पत्र : मगनलाल गांधीको

विचार है। यहाँ शुरू किया गया सत्याग्रह सफल हुआ है। कुदरत अजीब चीज है। बा की तबीयत ठीक रहती है। श्री कैलेनबैक मेरे साथ ही रहते हैं।

यदि मुझे यहाँ लम्बे अर्से तक रहना पड़ा तो उसके लिए तुम सबको यहीं लानेका प्रयत्न कर रहा हूँ। मैंने श्री रॉबर्ट्सको जो पत्र लिखा है उम्मीद है तुम्हें उसकी नकल भेज सकूँगा । उस पत्रसे किसीको विचलित नहीं होना चाहिए और न कोई आशा ही बाँधनी चाहिए। इस पत्रके मिलनेसे पहले अगर तुम्हें मेरा तार न मिला हो तो यही समझना कि मेरे प्रस्तावका कोई परिणाम नहीं निकला।

वहाँ सबसे कहना कि मैं हर एकको जुदा-जुदा पत्र नहीं लिख पाता।

इन दिनों जमनादासका कोई पत्र नहीं है। किसीको ऐसा नहीं सोचना चाहिये कि यदि मैं पत्र नहीं लिख पाता हूँ तो उन्हें भी पत्र देनेकी आवश्यकता नहीं है। वहाँ तुम्हारा भोजन-खर्च कितना पड़ता है, मुझे लिखना । यदि तुम्हारे यहाँ आनेकी जरूरत न पड़ी तो आज जैसा कुछ मुझे जान पड़ता है, मेरा विश्वास है, लगभग तीन महीने के बीच मैं यहाँसे मुक्त हो सकूंगा; किन्तु कुछ भी निश्चित नहीं है। यहाँसे मुक्त होकर जबतक वहाँ न पहुँच जाऊँ तबतक निश्चित कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

पूज्य कालाभाई या पू० करसनदास भाईके लड़कोंमें से कोई आना चाहे तो अपने साथ रख लेना । नंदकोर भाभीको लिखना कि वहाँ पहुँचनेपर मैं सारी व्यवस्था कर दूंगा।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ५७७६) से । सौजन्य : राधाबेन चौधरी



४१२. पत्र : मगनलाल गांधीको

लन्दन

कार्तिक वदी १०, १९७१ [नवम्बर १३, १९१४]

चि० मगनलाल,

दिल्लीसे तुम्हारा और मणिलालके पत्र मिले थे। आजकल डाक अनियमित आती है इसलिए पत्र जब-तब मिलते हैं।

तुम सबको अनुभव तो खूब मिल रहा है । शान्तिनिकेतनमें इस तरह रहना जिससे [ तुम सब ] उनके काम आ सको और उनको जरा भी असन्तोष न हो। तुम्हारे लिए सम्भवतः यह अधिक सुविधाजनक हो कि भोजनकी कुछ ऐसी चीजें जिनके बिना तुम्हारा गुजारा न चल सके बाहरसे मँगवा लो । यहाँ बैठा-बैठा मैं कुछ सुझाव नहीं दे सकता | विचार करनेके बाद तुम्हें जो उचित जान पड़े, करना। तमिल बच्चोंको

१. उपलब्ध नहीं है ।

२. इसके भेजेजानेका कोई प्रमाण नहीं मिलता ।