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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बा की तबीयत बहुत अच्छी है। यहाँ तो उसने जीभपर भी बड़ा काबू रखा है। अब वा और मैं थोड़ा घूमने जा रहे हैं।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजी के स्वाक्षरों में मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ६०६१) की फोटो-नकलसे।

४१०. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

[ लन्दन ]

नवम्बर ६, १९१४

प्रिय श्री गोखले,

मैंने श्री कैलेनबैकके नाम लिखा आपका पत्र देखा। मैं आजसे पाँच दिन पहले बिस्तरसे उठा हूँ और धीरे-धीरे मेरी ताकत लौट रही है। कृपया मेरे विषयमें चिन्ता न करें।

आपको यह जानकर हर्ष होगा कि कर्नल बेकरके साथवाला झगड़ा सुलझ गया है। जिन दो मुद्दोंके लिए हम संघर्ष कर रहे थे उनको उन्होंने मंजूर कर लिया है। मैं आशा करता हूँ कि समुद्री यात्रासे आपको लाभ अवश्य हुआ होगा और आप स्वस्थ होंगे।

आपका,

मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (जी० एन० २२४९) की फोटो-नकलसे।


४११. पत्र : मगनलाल गांधीको

[ लन्दन ]

कार्तिक वदी ३, [ नवम्बर ६, १९१४]

चि० म०,

बहुत लम्बे पत्र लिखनेका यह समय नहीं है। मेरा स्वास्थ्य सुधर रहा है। यदि आगामी सप्ताह तक सुधर गया तो विस्तारसे लिखूंगा। मेरी चिन्ता न करना, मेरा विचार है कि तबीयत ठीक हो जायेगी । बिस्तरसे उठे हुए [ मुझे ] तीन दिन हो गये हैं।

श्री मगनभाईका पत्र मिला। उन्हें उत्तर लिखा भेजा है। उसे पढ़ना और उस- पर अमल करना...२ सोराबजी अस्पताल गये हैं जहाँ हमारे घायल सिपाही पड़े हुए हैं, अस्वस्थ होनेके कारण मैं नहीं जा सका। इसके साथ कुछ कागजात भेजनेका

१. उपलब्ध नहीं है।

२. यहाँ कुछ भाग छोड़ दिया गया है।