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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी चला लूंगा। तुम्हें यह सब विस्तारपूर्वक लिख रहा हूँ, पर घबरानेकी कोई बात नहीं है। मेरी तबीयत ठिकाने आ जायेगी यह उम्मीद है और मन कहता है कि वह फलाहारसे ही आ सकेगी। अनुभव क्या होते हैं, यह देखना है। दूध लेनेका आग्रह तो मित्र करते ही रहते हैं पर उसके लिए मैं साफ इनकार कर गया हूँ। मैंने उन्हें बतलाया है कि दूध लेनेपर मुझे [ धार्मिक ] आपत्ति है अतः उसे तो, मौत आ जाये तो भी, नहीं ले सकूँगा ।

बा की शक्ति अजब है। वह मेरे उपचारोंपर विशेष दृढ़ होती जा रही है। यहाँ मुझे इंडिया ऑफिसके विरुद्ध सत्याग्रह करना पड़ा है उसका हाल दूसरे पत्रमं लिखूंगा।

फोनिक्सके आदर्शों का पालन असह्य संकटोंके बावजूद भी करना ... 'सब लोगोंका स्वास्थ्य किस प्रकार रहता है ? वहाँ जानेके बाद वातावरण का प्रभाव बालकोंके मनपर किस प्रकार पड़ा है ? सारे समाचार विस्तारपूर्वक लिखना।

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]

गांधीजीनी साधना

४०५. पत्र : मगनलाल गांधीको

[ लन्दन,

अक्तूबर, १९१४के अन्त में ]

....पड़ा है, उसका ब्यौरा मैं किसी दूसरे पत्रमं दूंगा। श्री गोखले आखिरी मेल [ स्टीमर ] से रवाना हो गये। उनसे मिलना। [तुम्हें] पैसेकी मदद चाहिए तो उन्होंने मदद करनेका वचन दिया है। श्री गोखलेकी मान्यता है कि हमारे पास जो कोष है उसका उपयोग वहाँके खर्चके लिए नहीं किया जा सकता और हम सबके देश आनेका खर्च भी उसमें से नहीं निकाला जा सकता। फिर भी, उन्होंने मेरे वहाँ आनेके बाद उसकी समुचित व्यवस्था करनेके लिए कहा है। हम थैलीके पैसेका उपयोग कर सकते हैं। [ तुम ] असह्य कष्ट सहकर भी अपने उद्देश्योंका पालन करना ।

अब तुम तीन जगहोंसे सहायता प्राप्त कर सकते हो : डॉक्टर मेहता, श्री गोखले और श्री ऐन्ड्रयूजसे। इन सबमें तुम्हें जो अनुकूल जान पड़े उनसे मदद लेना । मेरे विचारानुसार जबतक डॉक्टर मेहतासे मदद मिले, तुम किसी औरकी सहायता न लेना । वहाँ कितना खर्च होता है, भोजनमें क्या-क्या दिया जाता है, सबकी तबीयत कैसी

१. साधन-सूत्रमें यहाँ थोड़ा भाग छोड़ दिया गया है ।

२. गोखले १३ नवम्बरको बम्बई पहुँचे थे, पर इसके लगभग तीन सप्ताह पूर्व उनके देश रवाना होनेकी सम्भावना थी ।

३. साधन-सूत्रमें पत्रके कुछ अंश गायव हैं ।