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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ही कर्नल बेकरकी जानकारी में पूरी तौरपर भर्ती करती रही है। अतएव यह कहना कदापि उचित नहीं कि मैं अब कर्नल बेकरके भर्ती करनेके हकको, जो उनका कभी नहीं था, चुनौती दे रहा हूँ । बल्कि अगर मैं कहूँ, तो हमें ऐसी शिकायत करनेका हक है कि जब हम सम्बन्धोंको सँभालनेकी भरसक कोशिश कर रहे थे तब कर्नल बेकरने भर्तीकी माँग करते हुए गश्ती-पत्र जारी किये और विद्यार्थी-विभागने भी दखल दिया तथा एक तरहसे उन लोगोंको जो कर्नल बेकरके प्रयत्नोंपर अनुकूल काम करनेवाले थे, औपचारिक रूपसे लिखा भी। इन प्रयत्नोंसे ऐसा प्रतीत होता है कि वे अपनी हदतक मेरी समितिसे सहयोग बनाये रखनेका कोई इरादा नहीं रखते। निःसन्देह उनका समझौते के लिए चल रही मेरी बातचीतके परिणामकी प्रतीक्षा करना अधिक शोभाजनक होता । अतएव यदि 'कोर' के काम शुरू कर देनेके बावजूद कर्नल बेकर भर्ती जारी रखते, तो 'कोर' का स्वयंसेवी और राष्ट्रीय स्वरूप समाप्त हो जाता; उसके काम हमारे उस गश्ती-पत्र तथा उसपर आधारित प्रयत्नके विरुद्ध होते । इसके अलावा यह आपके १८ अगस्तके पत्रकी भावनाके भी विरुद्ध होगा जिसमें प्रस्तावपर हस्ताक्षर करनेवालों से एक समिति बनाने के लिए कहा गया था। समझौता होनपर मेरी रायमें कमसे कम भर्ती करनेका पूरा हक बरकरार रहना चाहिए।

आपके पत्रसे यह भी जान पड़ता है कि कर्नल बेकरके लिए यह सिद्धान्त स्वीकार करना भी असम्भव होगा कि मेरी समितिसे 'कोर' के आन्तरिक प्रशासनपर असर डालनेवाले मामलों में भी सलाह ली जाये। कर्नल बेकर अबतक तो सलाह लेते रहे हैं। उदाहरणके लिए उन्होंने मेरे जरिये सेनाके रसद विभाग (कॉमिसेरियट) के प्रबन्धके बारेमें विभिन्न वर्गों द्वारा विभिन्न प्रकारका खाना माँगनके प्रश्नके सम्बन्धमें और पोशाक जैसे महत्वपूर्ण प्रश्नके बारेमें समितिकी सलाह और सहयोगको उपयोगी और व्यावहारिक पाया है। मेरे कथनका यह तात्पर्य नहीं कि सेवा और काम सम्बन्धी मामलोंपर मेरी समितिकी सलाह ली जानी चाहिए। मैं इस तथ्यको अच्छी तरह जानता हूँ कि अनु- बन्धके जिन प्रारूपोंपर हम सबने स्वेच्छया हस्ताक्षर किये हैं, उनमें हमने यह मान लिया है कि हम अपने कमांडिंग ऑफिसरके सभी न्यायपूर्ण आदेशोंको मानेंगे। परन्तु हमने यह नहीं माना है कि जिन कामोंको हमने उस अफसरके अधिकार क्षेत्रमें नहीं माना, वह उनको करे और हम उसमें योग दें। मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि मैं सदासे, आदेश- पालन कैसे किया जाता है, सो जानता हूँ और आशा करता हूँ कि इस संकटकालमें यदि किसी कामके योग्य समझा जाऊँ वही काम मिलनेपर सेवा करने में पीछे नहीं रहूँगा; और मेरी समझमें मैं अपने साथ काम करनेवालोंके बारेमें भी यही कह सकता हूँ। इस दुर्भाग्यपूर्ण मामले में उनकी बराबर यही इच्छा रही कि पत्र तथा जिन अनु- बन्ध-पत्रोंपर उन्होंने हस्ताक्षर किये थे उनकी भावना पूरी तरह निबाही जा सके।

मैं जितने विस्तारसे लिखना चाहता था, उससे अधिक विस्तारसे लिख गया हूँ । मेरी समिति तथा मैं इसके लिए उत्सुक हैं कि कोई समझौता हो जाये । और चूंकि मेरी समझमें पारस्परिक सद्भावनाको बल देने में व्यक्तिगत बातचीत सर्वाधिक सफल साधन सिद्ध होता है, मैं फिर आपसे मिलना चाहता हूँ। आपने सुझाव दिया भी था कि यदि आवश्यकता पड़े तो मैं आपसे मिल सकता हूँ। मगर मुझे डॉक्टरकी सख्त