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पत्र: सी० रॉबर्ट्सको

लागू होगा और उसका दर्जा तथा अस्तित्व कर्नल बेकरको मान्य होगा। सलाह लेनेका यह सिद्धान्त उन सब मामलोंपर भी लागू होगा, 'कोर' के आन्तरिक प्रशासनपर जिनका प्रभाव पड़ता है। मैं यह भी मानता हूँ कि यदि मेरी समिति कर्नल बेकरके साथ पुनः सहयोग आरम्भ कर देती है तो वे गश्तीपत्र जिनमें सम्भवतः कर्नल बेकरने भारतीयों को अपनी सेवाएँ व्यक्तिगत रूपसे समर्पित करनेका आह्वान किया है, आइन्दा जारी नहीं किये जायेंगे। मुझे विश्वास है कि लॉर्ड महोदय ऐसा मानेंगे कि मैं समितिके लिए जिस मान्यता की माँग कर रहा हूँ वह निश्चित रूपसे केवल सफलता और कार्य-निपुणताकी प्राप्तिके लिए है।

चूँकि मैं कल 'कोर' के सदस्योंकी एक बैठक बुला रहा हूँ, इसलिए क्या मैं आशा करूँ कि इसका उत्तर एक्सप्रेस डिलीवरीसे मिल जायेगा । यदि आप अपने पत्रमें उल्लिखित सैनिक विनियमोंकी अपनी प्रति मुझे कुछ समयके लिए भेज सकें तो बड़ी कृपा होगी ।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६०६९ 'बी') से।

४०३. पत्र : सी० रॉबर्ट्सको

१६, ट्रेबॉविर रोड

लन्दन, एस० डब्ल्यू ०

अक्तूबर २५, १९१४

प्रिय श्री रॉबर्ट्स,

आपने तत्काल ही, २३ तारीखको उत्तर लिख भेजा, इसके लिए मेरा धन्यवाद स्वीकार करें। मेरे २२ तारीखके पत्रमें जिस बैठकका उल्लेख है उसमें हमारे बीच हुआ पत्र-व्यवहार पढ़ा गया था । और दो व्यक्तियोंको छोड़कर सारी बैठकमें प्रस्ताव पास करके आपके उस पत्रपर बहुत खेद व्यक्त किया गया जिसका यहाँ उत्तर दिया जा रहा है और साथ ही मुझे अपने पिछले पत्रके अनुसार एक सुलहनामेके लिए बातचीत करनेका अधिकार दिया गया है।

मुझे लगता है कि इंडिया ऑफिस और मेरी समितिके कार्योंके सम्बन्धमें तथा कर्नल बेकर और समितिके परस्पर सम्बन्धोंके बारेमें जबर्दस्त गलतफहमी दिखाई देती है। जिस गश्ती पत्रका' मसविदा श्री मैलेटने और मैंने बनाया था और जिसकी प्रति मैं संलग्न कर रहा हूँ, वह कर्नल बेकरके कमांडिंग ऑफिसर नियुक्त होनेके साथ ही साथ जारी हुआ था। उस गश्ती- पत्रका ही यह अभिप्राय है कि भर्तीके लिए मेरी समिति ही पूरी तरहसे जिम्मेदार होगी। और इस दुर्भाग्यपूर्ण मतभेदके पहले तक समिति

१. देखिए परिपत्र : प्रशिक्षण दलके सम्बन्धमें" पृष्ठ ५२५-२६ ।