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पत्र: कर्नल आर० जे० बेकरको

लोग थे और उसमें मुझे किसी अधिकारका पद प्राप्त नहीं था, परन्तु फिर भी कभी कर्नल गालवे और कोरके बीच कोई झंझट पैदा नहीं हुई। और यद्यपि वहाँ अधिकृत रूपसे कई यूरोपीय पदाधिकारी उनके नीचे थे मगर कर्नल गालवे और मेजर बप्टे कोई भी कदम मुझसे पूछे बिना नहीं उठाते थे । निश्चित रूपसे कोरकी इच्छा जाननेके लिए वे मुझसे सलाह ले लेते थे। शायद आपको ज्ञात होगा कि हम ३०,००० की एक सैनिक टुकड़ीसे सम्बद्ध थे और कठोरतम फौजी अनुशासनके नीचे रहकर काम करते थे। बोअर युद्धकी अत्यन्त संकटमय स्थिति में कोरको काम करनेके लिए बुलाया गया था और वह भी उस वक्त जब ब्रिटिश फौजोंको पहले-पहले पीछे हटना पड़ा था। मैं विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि मैं आपके पदकी मर्यादा या सत्ताको नष्ट करन अथवा सैनिक अनुशासनके प्रतिकूल कोई काम करनेकी बात सोच भी नहीं सकता; परन्तु यदि आप हमें उस अनुशासनका प्रशिक्षण देना चाहते हैं तो मेरी रायमें मैंने जो रास्ता सुझाया है उसके सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं है। इससे आप अपनी कोरको और अच्छी तरहसे जान सकेंगे। और मैं यह निवेदन करूंगा कि मेरी सलाह माननेसे आपकी लोकप्रियता और प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

पिछली रातको कोरकी एक बैठक हुई। ५३ सदस्य उपस्थित थे। बैठकमें बड़ा जोश फैला हुआ था। यद्यपि मैं कष्टमें था फिर भी डॉक्टरी हिदायतके खिलाफ मैंने बैठकमें भाग लिया। प्रस्ताव दो मतोंके विरुद्ध ४७ मतोंसे पास हुआ। मैंने उपस्थित सदस्योंसे शामकी कवायदके समय आनेको कहा है। कोरके हितमें यदि आप किसी भी प्रकारसे अपना निर्णय बदल सकें तो कवायद जारी रहेगी। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो हममें से जिन लोगोंने प्रस्तावके पक्षमें मत दिये हैं तथा जो इसके साथ आनेवाले हैं उन्हें आपके प्रतिकूल निर्णयकी सूचना दे दी जायगी और वे सादर अपना मत वापस ले लेंगे।

मैं आशा करता हूँ कि आप अपने निर्णयपर पुनः विचार करेंगे और एक अवश्य- म्भावी अनर्थको टाल सकेंगे। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपको अपने कमां- डिंग ऑफिसरके नाते प्रसन्न करनेको उत्सुक हूँ, परन्तु अपने देशभाइयोंकी, जिनमें से अनेकोंने मेरी सलाहपर ही आन्दोलन में भाग लिया है, सेवा करनेको भी मैं उतना ही उत्सुक हूँ।

श्री गणदेविया, जिन्होंने कृपया यह पत्र आपके पास ले जानेका काम स्वयं हाथमें लिया, आपके उत्तरकी प्रतीक्षा करेंगे।

आपका,

मो० क० गांधी

गांधीजी के हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस०एन० ६०६९ बी० ) से।



१. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ २३३, २३५-४१।