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३९८. प्रस्ताव'

[ लन्दन

अक्तूबर १३, १९१४]

'इंडियन फील्ड एम्बुलैंस ट्रेनिंग कोर 'के भारतीय स्वयंसेवकोंकी यह बैठक कार- पोरलोंकी नियुक्तिपर लिखित रूपसे अपना अत्यधिक खेद व्यक्त करती है क्योंकि उनकी नियुक्ति कोरके सदस्योंकी इच्छाओंका ध्यान रखे बिना की गई है। बैठक इस बात- पर भी दुःख व्यक्त करती है कि कोरके अध्यक्षने बशर्ते कि कमांडिंग ऑफिसर इसे स्वीकार कर ले, जो नियुक्तियाँ पहलेसे हो चुकी हैं उन्हें वापस लेने और प्रशिक्षणकी अवधिके दौरान 'कोर' के सदस्योंको कारपोरलों तथा अन्य अफसरोंके चुनावका अवसर देनेका जो सुझाव दिया था, कमांडिंग ऑफिसरको उसे स्वीकार करनेकी कोई सूरत नजर नहीं आई। बैठक नम्रतापूर्वक यह भी निश्चय करती है कि जबतक उपर्युक्त नियुक्तियाँ वापस नहीं ली जातीं और ऐसे कोई उपाय नहीं अपनाए जाते जिनके द्वारा नई नियुक्तियाँ करते समय निश्चित रूपसे कोरके सदस्योंकी इच्छा जानी जा सके तबतक सदस्य न चाहते हुए भी कवायद (ड्रिल) करने और सप्ताहान्त कैम्प करनेसे इनकार करनेपर मजबूर होंगे।

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६०६९ 'बी') से।


३९९. पत्र : कर्नल आर० जे० बेकरको

[ लन्दन ]

अक्तूबर १४, १९१४

प्रिय कर्नल बेकर,

मुझे बड़े ही खेदके साथ लिखना पड़ रहा है कि मेरे कलके पत्रके जवाबमें आपके उत्तरसे मुझे बहुत ही निराशा हुई। मैं आपको अच्छे स्वभाववाला और सहृदय, एक ऐसा कमांडर मानता रहा हूँ जो लाल फीताशाही और अकड़से मुक्त होनेके कारण अपने सामने आनेवाले प्रत्येक कार्यको सहज ही और यथासम्भव खूबसूरत ढंगसे कर सकता है। परन्तु आपके पत्रसे मैं चक्करमें पड़ गया। मैंने कोरकी भावनाको भली- भाँति जानते हुए एक बहुत ही उचित सुझाव दिया था। अधिकारियों और अपने देशभाइयोंके बीचकी समस्याओंको सहज बनाना मेरे जीवनका एक विशेष कार्य रहा है। मैं आपको यह बता दूं कि पिछली 'साउथ आफ्रीकन इंडियन कोर' में १२००

१. यह प्रस्ताव कोरकी एक बैठकमें जो १३ अक्तूबरको हुई थी, पास किये जानेके बाद कर्नल बेकरको भेज दिया गया था। देखिए अगला शीर्षक ।