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सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय

करेंगे। श्री गांधीने आगाखाँके सम्बन्धमें और भी प्रशंसात्मक शब्द कहे। उन्होंने कहा कि वे दक्षिण आफ्रिकाके संघर्षके दिनोंमें भारतीयोंका उत्साह अनवरत रूपसे बढ़ाते रहे और अच्छी खासी आर्थिक सहायता लगातार पहुँचाते रहे। श्री गोखलेने दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयों के हितमें जो कठिन परिश्रम किया था उसमें भी उन्होंने हाय बॅटाया था। श्री गांधीने यह भी कहा कि आगाखाँको देखकर उनके अनुयायियोंका -- जिनमें से कुछने हमारे संघर्ष में भाग लिया था -- - ही नहीं, बल्कि प्रत्येक भारतीयका हृदय भी प्रसन्न हो उठता है फिर चाहे वह किसी भी धर्मका माननेवाला क्यों न हो।

इसके उपरान्त श्री गांधीने हिन्दुओंकी ओरसे मुसलमान भाइयों के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए कहा कि श्री लायड जॉर्जके कथनपर जो रोष मुसलमानोंको हुआ है उसमें हम हिन्दू लोग पूर्णतया उनके साथ हैं। उन्होंने सलाह दी कि आप लोग एक-एक पैसा माँगकर कोष एकत्रित करके इंग्लैंडके गृह-मन्त्रीके पास एक ऐसा प्रामाणिक और विश्वसनीय विवरण लिख भेजें जिससे यह प्रामाणित हो जाये कि मुसलमानोंके पैगम्बर दुरात्मा न थे जैसा कि उन्होंने मान रखा है।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, ४-११-१९१४


३९७. पत्र : कर्नल आर० जे० बेकरको

लन्दन

अक्तूबर १३, १९१४

प्रिय कर्नल बेकर,

आपकी आजकी तारीखकी चिट्ठीके लिए धन्यवाद । उसीके साथ श्री वेंकटरमण द्वारा आपका मौखिक सन्देश भी मिला। उन्होंने मेरा नोट आपतक पहुँचानेकी कृपा भी की ।

मैं यह जानता हूँ कि कठोर सैनिक अनुशासन में यह जरूरी होता है कि एक दल (कोर) के सदस्यों द्वारा की गई सभी शिकायतें वर्ग नेताओं (सेक्शन लीडर्स) के जरिये कमांडिंग ऑफिसरको भेजी जायें। मैं इस तथ्यको भी जानता हूँ कि फौजी अर्थमें मैं एक असैनिक व्यक्ति हूँ; परन्तु मैं ऐसा मानता रहा हूँ कि गैरसरकारी तरीकेसे दलके हितमें मुझे आपके तथा दलके सदस्योंके बीच बातचीतका एक अदना जरिया मानकर बातचीत करने की अनुमति दी इसलिए जायेगी कि कोई मतभेद या आग्रह, विशेषतः प्रारम्भिक दशाओंमें, आड़े न आये । प्रारम्भ में इस बातकी गुंजाइश रहती है कि जो सदस्य कभी पहले सैनिक अनुशासनमें नहीं रहे वे एकदम नये अनुभवोंको ठीक तरह से

१. इसके बाद आगाखाँका भाषण हुआ ।