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३९६. भाषण: इंडियन फील्ड एम्बुलेन्स कोरके सामने'

[ लन्दन

अक्तूबर १, १९१४]

श्री गांधीने हर काममें डॉक्टर कैंटलीके अद्भुत उत्साहकी सराहना की। किन्तु कहा कि डॉक्टर साहबमें एक कमजोरी भी है और वह है उनकी यह उत्कट अभिलाषा कि 'अपने शरीरोंको एकदम गर्म बनाये रखने के लिए हम [ चुस्त ] घाघरे पहना करें" यह वाक्य सुननेपर सभामें उपस्थित व्यक्तियोंमें से डॉ० कैंटली हो सबसे अधिक और देर तक हँसे। श्री गांधीने पॉलीटेक्निक संस्थाके निदेशकोंके कार्यकी प्रशंसा सुन्दर शब्दों में की। वे लोग उस प्रशंसाके अधिकारी भी थे। इस संस्थाने भारतीय सेवा दल (इंडियन कोर) के रहने के लिए साया प्रदान किया है। इस संस्थाने सेवा दलके सदस्योंको अपने शानदार साज-सामान, भवन इत्यादिका और अन्य अनेक सुविधाओंका लाभ भी उठाने दियाहै। और इस सबकी एवजमें पैसा नाममात्रको ही लिया है, क्योंकि उन्हें संचालित करनेवाली प्रधान भावना देशभक्ति और सेवा-परायणता ही है।

श्री गांधीने आगाखाँका "परिचय" देते हुए कहा कि उनका परिचय देना अशिष्टता होगी। खास तौरपर मेरे द्वारा जो बीस वर्षसे भी अधिक अर्से तक अपनी मातृभूमिसे बाहर रहा हो । आगाखाँ महोदयने कहा कि मेरी इच्छा है कि में इस संकट-कालमें ब्रिटिश सेना में एक सैनिकको हैसियतसे काम करने लगूं। यह सुनते ही श्री गांधीने, जैसी कि आशा थी, अवसरको हाथसे न जाने दिया। उन्होंने कहा कि आगाखाँने एक श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया है और उनके लिए सेना-विभागमें प्रत्येक मार्ग सुलभ है। सेना- विभागमें भर्ती होनेके फलस्वरूप भारतीय सेवा-दलका हौसला बढ़ेगा, उन्हें भी प्रसन्नता होगी, और सन्तोष भी होगा। सेवा-दलके सदस्य आगाखाँके नीचे खुशीके साथ काम


१. रीजेण्ट स्ट्रीट, लन्दनमें स्थित पॉलीटेक्निक इन्स्टीट्यूशनके भवनमें एक सार्वजनिक सभा हुई थी। इस सभाका आयोजन डॉक्टर जेम्स कैण्टलीकी सेवाओं के लिए उन्हें सम्मानित करनेके उद्देश्यसे किया गया था। उन्होंने 'इंडियन वॉलंटरी एड कोर' नामक सेवा-दलको स्वास्थ्य विज्ञान, स्वच्छता और प्राथमिक चिकित्सा में प्रशिक्षण दिया था । इस दलको इंग्लैंडके युद्ध-कार्यालयने मान्यता दी थी और इसका नाम 'इंडियन फील्ड एम्बुलेन्स कोर' रखा गया था। कर्नल आर० जे० बेकरने जो कि इंडियन मैडिकल कोरके भूतपूर्वं सदस्य थे, डॉ० कैण्टलीके बाद प्रशिक्षण कार्थंका भार उठाया था। श्री गांधीने इस सभाकी अध्यक्षता की। इसमें आगाखाँने भाषण दिया था । उपस्थित व्यक्तियोंमें श्रीमती कस्तूरबा गांधी, श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्री अमीर अली और श्री कैलेनबैकके नाम उल्लेखनीय हैं । इससे पहले इस सभामें गांधीजीने डॉक्टर कैण्टलोको उनकी सेवाओंके उपलक्ष में रवीन्द्रनाथ ठाकुरकी रचनाओंका एक संकलन भेंट किया था ।