पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/५६४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५२४
सम्पूर्ण गांधी वाङमय

करे। इस पत्रकी एक नकल सामलदासको' भी भेजना। उसे तुम्हारे दलमें शामिल हो जाना चाहिए। भाभियोंके चरणों में प्रणाम करनेका अवसर तो कौन जाने कब आयेगा । मगनभाई अपने घर हो आये या नहीं, यह जाननेके लिए आतुर हूँ । फकीरी और कुपुके* लिए तमिल सीखने की व्यवस्था कर सको तो करना । सी० नटराजनसे मिलना; वे इस सम्बन्ध में तुम्हें ठीक सलाह देंगे। सब लोगोंसे पत्र लिखनेके लिए कहना। कल्याणदासका क्या हाल है--समाचार देना ।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजरातीकी प्रतिलिपि (सी० डब्ल्यू० ५७६६ और एस० एन० ६०५२) से । सौजन्य : राधाबेन चौधरी

३९३. पत्र : छगनलाल गांधीको

[ लन्दन ]

भाद्रपद वदी १४ [ सितम्बर १९, १९१४]

चि० छगनलाल,

जो कुछ लिख गया हूँ वह सब भेजते हुए हिचकिचा रहा हूँ। डाककी ऐसी कुछ दहशत रहती है। तुम्हारी ओरसे इस बार कोई डाक अभी तक नहीं आई। यह देश मुझे तो जहर-जैसा लगता है। मेरा मन तो भारतमें पड़ा है। मजबूरन रहना है, यही समझकर यहाँ पड़ा हूँ। इस सम्बन्ध में कुछ विस्तारसे ही लिखना चाहता हूँ पर अभी न फुरसत है और न इच्छा । यहाँ जबतक हूँ मुझे पत्र बराबर देते रहना। इमाम साहबको सलाम कहना । उन्हें भी जवाब देना है पर जब दे पाऊँ, तब ठीक । रावजीभाई और प्रागजीसे भी कहना कि मुझे पत्र लिखें ।

बारमें प्रवेशके लिए मैंने सोराबजीको १९० पौंड दिये हैं। यह रकम डॉक्टर मेहताके खाते में लिखकर उतनी रकमकी हुंडी रजिस्ट्री करके यहाँ भिजवा देना । यदि मैं यहाँ न रहा तो पत्र भारत आयेगा।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ६०५१) की फोटो-नकलसे।

१. गांधीजीके बड़े भाई लक्ष्मीदास गांधीके पुत्र।

२. मगनभाई पटेल।

३-४. विद्यार्थी; मगनलाल गांधीके साथ भारत गये थे ।

५. कामाक्षी नटराजन, इंडियन सोशल रिफार्मर, बम्बईके प्रसिद्ध सम्पादक ।

६. कल्याणदास जगमोहनदास मेहता, देखिए खण्ड ६, पृष्ठ ४७५ ।