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३९०. पत्र : मगनलाल गांधी को

८४-८५, पैलेस चैम्बर्स,

वेस्ट मिन्स्टर, लंदन

भाद्रपद सुदी ५, [ अगस्त २६, १९१४]

चि० मगनलाल,

मेरी स्थिति कुछ ऐसी अस्त-व्यस्त है कि कुछ सूझ ही नहीं पड़ रहा है कि क्या लिखूं? अभी यहाँ घायलोंको सेवा-सुश्रूषाके वर्ग शुरू किये गये हैं, मैं भी इनमें जाता हूँ। हम कुल मिलकर ५९ भारतीय इस वर्ग में हैं। ये वर्ग तीन सप्ताह तक चलेंगे। इसके बाद मेरे [ भारत ] आनेके सम्बन्ध में मैं कुछ विचार कर सकूँगा। यह भी सम्भव है कि श्री कैलेनबैकके आ पानमें थोड़ी बाधा खड़ी हो। ऐसी स्थितिमें मेरे आनेमें विशेष विलम्ब हो सकता है। मेरे भारत पहुँचने में कुछ-न-कुछ विघ्न तो आया ही करते हैं।

मुझे [नियमित ] पत्र लिखना तो तुम शुरू कर ही दो। वहाँ तुम सभीकी परीक्षा ही हो रही है। पैसा बहुत सम्हाल कर खर्च करना । खानेपीने में सब लोग परहेज से रहना। इससे तन और मन दोनों शान्त रहेंगे और फीनिक्सका गौरव बढ़ेगा। इस बार तो सबको पत्र नहीं लिख सकूँगा। सम्भव है अगले सप्ताह थोड़ी फुरसत मिले। तुम कौन-कौन लोग एक साथ हो?" मुझे पूरी नामावली भेजना। तुम्हारा सभीका डर्बन में सम्मान हुआ है यह मैंने 'इंडियन ओपिनियन' में पढ़ा। तुम सभी अपने अध्ययनमें जुटे रहना। मगनभाईकी तबीयत ठीक होगी। यदि किसी बातकी आवश्यकता जान पड़े तो 'सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के श्री देवधरसे' मिलना । तुम्हारा रहना तो रेवाशंकर- भाईके साथ ही होगा। मुझे उनका पत्र मिला था। उसमें उन्होंने इच्छा प्रकट की है कि तुम उन्हींके साथ रहो।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ५६५६) से। सौजन्य : राधाबेन चौधरी

१. प्राथमिक सहायता वर्गकी यहाँ जो चर्चा की गई है उससे पता चलता है कि यह पत्र १९१४ में इंग्लैंडसे लिखा गया होगा।

२. इन वर्गीका संचालन रिजेंट स्ट्रीट पोलीटेक्निकर्मे रेड क्रॉस कार्य के विशेषेश डॉ० जेम्स कैन्टलीने किया था ।

३. श्री कैलेनबैकको जर्मन होनेके नाते भारतके लिए अनुमति पत्र देने से इनकार कर दिया गया था।

४. तात्पर्य फीनिक्सके निवासियों के उस दलसे है जो भारत जानेवाला था।

५. मगनभाई पटेल।

६. गोपाल कृष्ण देवधर (१८६९-१९३५); सामाजिक कार्यकर्ता जिन्होंने पूनामें सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी तथा स्त्रियोंका उद्धार करनेवाली संस्था सेवा सदनमें काम किया था।

७. रेवाशंकर जनजीवन झवेरी, डॉ० मेहताके भाई तथा जीवन-पर्यन्त गांधीजीके मित्र रहे।