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३८९. पत्र : सी० रॉबर्ट्सको

[ लन्दन ]

अगस्त २४, १९१४

प्रिय श्री रॉबर्ट्स,

आपने श्री हरमान कैलेनकका नाम सुना ही होगा; वे पिछले दस वर्षसे दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके आन्दोलनसे सम्बद्ध रहे हैं। उनके माता-पिता मूलतः रूस देशसे आकर जर्मनी में पूर्वी प्रशियाके रस नामक नगरमे बस गये थे। वहीं श्री कैलेनबैकका जन्म हुआ था। वे जर्मन नागरिक रहे हैं। इधर पिछले अठारह वर्षोंसे वे दक्षिण आफ्रिका में रहकर वास्तुकारके रूपमें काम कर रहे हैं। ट्रान्सवालमें उनकी काफी बड़ी भू-सम्पत्ति है। श्री कैलेनबैकने चूंकि ट्रान्सवाल-वासी जर्मन- नागरिकोंके अपेक्षित कर्त्तव्योंका पालन नहीं किया, इसलिए जर्मन कानून के अनुसार जर्मन नागरिकताका उनका अधिकार छिन गया है।

चूंकि वे दक्षिण आफ्रिकासे हमारे रवाना होने से पहले मेरे साथ भारत आ रहे थे, इसलिए हम दोनों इसी नतीजेपर पहुँचे कि उनको दक्षिण आफ्रिकाकी नागरिकता ले लेनी चाहिए। इसीलिए उन्होंने पिछली १५ जुलाईको जोहानिसबर्ग में अपना प्रार्थनापत्र तैयार कर लिया था और अपने वकीलको हिदायत दे दी थी कि उनका प्रमाणपत्र उनके भारतके पतेपर भेज दिया जाये; यह इसलिए कि हमें लन्दन में ज्यादा नहीं रुकना था । वफादारीकी शपथ उन्हें भारतमें लेनी थी।

[ लन्दन ] अगस्त २४, १९१४ चूंकि मुझे पता नहीं कि वैधानिक रूपसे श्री कैलेनबैककी ठीक-ठीक क्या स्थिति है, इसलिए मैंने उनके बचावकी दृष्टिसे ही उपनिवेश कार्यालयके सामने उपर्युक्त तथ्य पेश कर दिये हैं और अब उसके उत्तरकी राह देख रहा हूँ ।

श्री कैलेनबैक भारतीय स्वयंसेवक दलमें शामिल होना और डॉ० कैन्टली की देखरेख में चलनेवाली कक्षामें प्राथमिक चिकित्साका प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं । परंतु वे ऐसा कोई कदम तबतक नहीं उठाना चाहते जबतक 'इंडिया ऑफिस' को यह सब बतलाकर उसकी अनुमति प्राप्त न कर ली जाये । आप जानते ही हैं कि कक्षा बुधवार के दिन दस बजे दोपहरको शुरू होती है, इसलिए अच्छा हो कि आप इस मामलेपर विचार करके बुधवारकी सुबहसे पहले अपना उत्तर देनेकी कृपा करें।

आपका,

मो० क० गांधी

श्री चार्ल्स रॉबर्ट्स, संसद सदस्य

इंडिया ऑफिस

[ अंग्रेजी से ]

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