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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

श्री कैलेनबैक कभी औपचारिक रूपसे ब्रिटिश प्रजाजन नहीं बने। परन्तु चूँकि वे हमारे साथ भारत जा रहे थे, हम दोनों ही इस निष्कर्षपर पहुँचे कि उनका नागरिक बन जाना बहतर होगा। इसलिए दक्षिण आफ्रिका छोड़ने से पहले अर्थात् १८ जुलाईसे पूर्व उन्होंने नागरिकता पानेके लिए अपनी अर्जी गृहमन्त्रीके पास प्रिटोरिया भेजी। वफादारीकी शपथ वे भारतमें लेनेवाले थे। सम्भावना यह थी कि उनके कागजात उनके वहाँ पहुँचने के बाद पहुँच जायेंगे। वर्तमान संकटके कारण श्री कैलेनबँक और मैं दोनों ही यहाँ अटक गये हैं और हम दोनों आशा करते हैं कि साम्राज्य- पर जो संकट आ गया है उसके दौरान गैर-फौजीके रूपमें हम अपनी सेवायें शीघ्र ही अर्पित कर सकेंगे।

अस्तु, मैं यह सब इसलिए लिख रहा हूँ कि इस समय 'जर्मन अपना पंजीयन करा लें। इस आशयके नोटिस निकल रहे और कैलेनबैकके पास अभी नागरिकताका कोई प्रमाणपत्र नहीं है। हम निश्चित रूप से यह जानना चाहते हैं कि इस बारेमें उन्हें कोई कदम उठाना है या नहीं ?

हर हालतमें, श्री कैलेनबैककी ऐसी इच्छा है कि वे अपने को पूरी तरह अघि- कारियोंके हवाले कर दें ।

आपका अत्यन्त आज्ञाकारी सेवक

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: ५५१/६८


३८७. एक गोपनीय गश्ती-पत्र'

[ लन्दन

अगस्त १३, १९१४]

हम लोगोंने जिनके हस्ताक्षर नीचे हैं, अच्छी तरह सोच-विचार कर यह तय किया है कि हम मातृभूमिके और साम्राज्यके लिए बिना किसी शर्तके इस आपत्ति- कालमें अपनी सेवाएँ अधिकारियोंको समर्पित कर दें। "बिना किसी शर्तके" शब्दका प्रयोग विचारपूर्वक किया जा रहा है क्योंकि हमारा खयाल है कि ऐसे समयमें, जो भी काम हमें दिया जा सकता हो उसे अपने व्यक्तित्वके या आत्मसम्मानके खिलाफ़ मानना ठीक नहीं कहा जा सकता।

[ अंग्रेजी से ]

इंडियन ओपिनियन, १६-९-१९१४

१. यह युद्धकालमें ब्रिटिश सरकारको मदद देनेके भारतीय प्रस्तावके पूर्व कुछ लोगोंमें घुमाया गया था। देखिए अगला शीर्षक। इसपर गांधीजी, कस्तूरबा, सरोजिनी नायडू और पचास अन्य लोगोंके हस्ताक्षर थे।