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पत्र: उपनिवेश-उपमन्त्रीको

हमने जिन-जिन मुद्दोंपर सत्याग्रह शुरू किया था उन सबको समझौते में अन्तिम रूपसे तय कर दिया गया है। परन्तु अभी हमारे सब दुःखोंका अन्त नहीं हुआ है । अभी शिकायतें बाकी हैं जिन्हें निकट भविष्य में दूर करवाना होगा। लेकिन मुझे आशा है कि सत्याग्रहको जरूरत नहीं होगी। उनका निपटारा भारतीय लोकमतके दबावसे, तथा डाउनिंग स्ट्रीट और दिल्ली अथवा कलकत्ता के दबावसे ही हो सकता है । दक्षिण आफ्रिकाके रुख में परिवर्तन हो गया है। हमारे पक्षमें यह सबसे बड़ी बात हुई है। दक्षिण आफ्रिकामे अगला समझौता हमारे व्यवहारपर निर्भर करेगा ।

अपनी तरफसे और श्रीमती गांधीकी तरफसे मैं श्री बसु और श्रीमती नायडूको उनके प्रेमभरे शब्दोंके लिए पुनः धन्यवाद देता हूँ । परन्तु आपके सामने अभी हमारा केवल उजला पहलू ही आया है। हमारी अपूर्णताओंको आप अभी नहीं जानते। भारतीय कुल मिलाकर अत्यधिक उदारहृदय होते हैं। वे दोषोंकी उपेक्षा करके गुणों- को बढ़ा-चढ़ा कर देखते हैं। इसी कारण तो हमने अपने वीर पुरुषोंको अवतार बना दिया। हमारे शास्त्रों में जो लिखा है उसकी मुझे याद आ रही है। लिखा है कि जहाँ हमारी प्रशंसा हो रही हो वहाँसे हमें उठकर चले जाना चाहिए, और उस सारी प्रशंसाको भगवान के चरणोंमें अर्पण कर देना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि हमें परमात्मानं इतना साहस दिया है कि इस सारी प्रशंसाको हम उसके चरणों में अर्पित कर दें। उसीके नामपर और भारत माता के नामपर हमने केवल अपना कर्त्तव्य करनेका ही यत्न किया है।

[ अंग्रेजी से ]

इंडियन ओपिनियन, ३०-९-१९१४


३८६. पत्र: उपनिवेश-उपमन्त्रीको

[ लन्दन ]

अगस्त १०, १९१४

उपनिवेश- उपमन्त्री

कलोनियल ऑफिस, एस० डब्ल्यू ०

महोदय,

श्री हरमान कैलेन बँक जन्मसे एक जर्मन हैं। उनके माता-पिता रूससे आकर जर्मनीके पूर्वी प्रशियाके सीमावर्ती शहर रसमें बस गये थे । जन्मसे वे यहूदी हैं और पेशेसे वास्तुकार । वे पिछले १८ वर्षोंसे दक्षिण आफ्रिकामें बसे हुए हैं। वे ट्रान्सवालमें टॉल्स्टॉय फार्मके मालिक हैं और इसके अलावा उसी प्रान्तमें उनकी ज़मीन जायदाद आदि भी है ।

वे पिछले १० वर्षोंसे दक्षिण आफ्रिकामें मेरे कामसे सम्बद्ध रहे हैं और चूंकि हम दोनों भारत जा रहे हैं, वे मेरे साथ आये हैं।