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सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय

सँभाल मुफ्त करना स्वीकार किया और जब हम चार्ल्सटाउनसे आगे बढ़े उस समय उन्होंने हमें कुछ कीमती दवाएँ और उपयोगी औजार मुफ्त दिय। रसोई मस्जिदके मकानमें होती थी और चूल्हा चौबीसों घंटे जलाये रखना पड़ता था। रसोइये हड़ता- लियोंमें से ही तैयार हुए थे। आखिरी दिनों में प्रतिदिन चारसे पाँच हजार तक आदमियोंको भोजन कराना पड़ता था। फिर भी इन कार्यकर्ताओंने कभी हिम्मत नहीं हारी। सबेरे मकईके आटेकी राब शक्कर डालकर दी जाती थी और उसके साथ डबल-रोटी; तथा शामको चावल, दाल और साग दिया जाता था। दक्षिण आफ्रिकामें अधिकांश लोग तीन बार खानेवाले होते हैं। गिरमिटिये तो तीन बार खाते ही हैं। लेकिन इस लड़ाई में उन्होंने दो ही बार खाकर सन्तोष माना। वे तरह-तरहके स्वादके प्रेमी होते हैं, परन्तु यहाँ उन्होंने सब स्वाद छोड़ दिये।

विशाल समुदायमें इकट्ठे हुए इन आदमियोंका क्या करना, यह सवाल विचार- णीय हो गया। चार्ल्सटाउनमें जैसे-तैसे इतने ज्यादा आदमियोंको लम्बे समय तक रखा जाये, तो रोगके फूट निकलनेका डर था । इतने हजार आदमी, जो हमेशा काममें ही लगे रहते थे, निकम्मे बैठे रहें यह भी ठीक नहीं था। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इतने गरीब आदमी एक जगह इकट्ठे हुए लेकिन चार्ल्स टाउनमें उनमें से किसी एकने भी चोरी नहीं की। पुलिसकी जरूरत किसी भी समय नहीं हुई और न पुलिसको उनके कारण कभी ज्यादा काम करना पड़ा। फिर भी उत्तम रास्ता यह मालूम हुआ कि अब ज्यादा दिन चार्ल्सटाउन में नहीं ठहरना चाहिए। इसलिए ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेका और यदि पकड़े न जायें तो अन्त में टॉल्स्टॉय फार्म पहुँचनेका निर्णय किया । कूच करनेके पहले सरकारको खबर दी कि हम लोग गिरफ्तार होनेके लिए ट्रान्सवालमें प्रवेश करने-वाले हैं। हमें वहाँ रहना नहीं है, वहाँके अधिकार पानेकी भी हमारी इच्छा नहीं है । लेकिन जबतक सरकार पकड़ेगी नहीं तबतक हम अपनी कूच जारी रखेंगे और अन्तमें टॉल्स्टॉय फार्मपर मुकाम करेंगे। सरकार यदि तीन पौंडी कर उठा लेनका वचन दे, तो हम पीछे जानेके लिए तैयार रहेंगे। सरकारकी मनःस्थिति ऐसी नहीं थी कि वह हमारे इस नोटिसपर ध्यान देती। उसके जासूस उसे बहकाते थे। वे सरकारसे कहते थे कि आन्दोलन करनेवाले लोग शीघ्र ही थक जायेंगे । सरकारने सब भाषाओंमें नोटिस छपाकर हड़तालियों में बाँटे थे।

अन्तमें चार्ल्सटाउनसे भी आगे बढ़नेका अवसर पास आ पहुँचा । ६ नवम्बरको तीन हजारका दल सुबह रवाना हुआ। पूरी कतार एक मीलसे भी ज्यादा लम्बी थी। श्री कैलेनबैक तथा मैं पीछेके भागमें थे। हमारी टुकड़ी सीमापर पहुँची। वहाँ पुलिसका दल हाजिर था। हम दोनों वहाँ जा पहुँचे और पुलिसके साथ हमारी बात- चीत हुई। उन लोगोंने हमें पकड़नेसे इनकार किया। इसलिए हमारा जुलूस व्यवस्था और शान्तिके साथ फोक्सरस्टमें से गुजरा। शहरके बाहर स्टैण्डर्टन रोड़पर पहुँचकर सबने पड़ाव डाला। सबने खाना खाया। स्त्रियाँ कूचमें शामिल न हों, ऐसी योजना की गई थी। फिर भी उनके जोशको रोकना मुश्किल हुआ और कुछ स्त्रियाँ भी उसमें शामिल हो गईं। परन्तु कुछ स्त्रियाँ और बालक अभी चार्ल्सटाउनमें ही रह गये थे। उनकी संभालके लिए श्री कैलेनबैंकको फोक्सरस्टकी सीमा पार करनेके बाद वापस भेजा।