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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बड़ी सज्जनताका परिचय दिया। उन्होंने हमारे साथ सहानुभूति भी दिखाई। किसी भी हिन्दुस्तानीको हैरान नहीं किया। एक भली बहिनने तो अपना मकान हमारे उपयोगके लिए मुफ्त दे दिया। अनेक गोरोंसे हमें छोटी-बड़ी कई तरहकी दूसरी सहायता भी मिली।

परन्तु इन हजारों हिन्दुस्तानियोंको हमेशा के लिए न्यूकैसिलमें तो नहीं रखा जा सकता था। वहाँका मेयर घबड़ाया । वहाँकी आबादी सामान्यतः तीन हजार की थी । ऐसी गाँव-जैसी जगहमें दूसरे दस हजार आदमी किसी तरह समा ही नहीं सकते थे। दूसरी खानोंके मजदूर भी काम बन्द करने लगे। इसलिए यह सवाल पेश हुआ कि अब क्या करना चाहिए। हड़ताल करने में जेल जानेका उद्देश्य था। सरकार चाहती तो इन मजदूरोंको पकड़ सकती थी। लेकिन इन हजारों लोगोंको रखनेके लिए उसके पास जेलें ही नहीं थीं। इसलिए उसने मजदूरोंपर अभी हाथ नहीं डाला। अब ट्रान्स- वालकी सीमाका उल्लंघन किया और इस तरह गिरफ्तार हुआ जाये, यही एक उपाय रह गया। यह भी लगा कि वैसा करनेसे न्यूकैसिलमें भीड़ कम होगी और हड़तालियोंकी ज्यादा कठिन कसौटी होगी। न्यूकैसिलमें खानोंके जासूस हड़तालियोंको ललचा रहे थे। लेकिन एक भी मजदूर लालचमें फंसा नहीं। फिर भी उन्हें उस लालचसे दूर रखना व्यवस्थापक मण्डलका फर्ज था। इसलिए न्यूकैसिलसे चार्ल्सटाउनकी ओर कूच करना ठीक मालूम हुआ। रास्ता लगभग ३५ मीलका था । हजारों लोगोंके लिए रेल भाड़ेका खर्च नहीं किया जा सकता था। इसलिए ऐसा निश्चय हुआ कि सब सशक्त पुरुष और स्त्रियाँ पैदल ही चलें। जो स्त्रियाँ चल न सकती हों उन्हें रेलमें ले जाना तय हुआ। रास्ते में ही गिरफ्तारी होनेकी सम्भावना थी। इसके सिवा, इस प्रकारका यह हमारा पहला ही अनुभव था। इसलिए तय हुआ कि पहली टुकड़ी मैं ले जाऊँ। इस पहली टुकड़ीमें लगभग ५०० आदमी थे । और इनमें बच्चोंवाली ६० स्त्रियाँ थीं। इस टुकड़ीका दृश्य में कभी भूल नहीं सकता। 'द्वारकाधीशकी जय', ‘रामचन्द्रकी जय', 'वन्देमातरम्' - इस तरह जय-जयकार करती हुई टुकड़ी आगे बढ़ती जाती थी । उनके साथ दो दिन तक चले इतना पका हुआ दाल-चावल बाँध दिया गया था। सब अपनी-अपनी पोटलियाँ बाँधकर निकले थे। कूचके पहले उन्हें निम्नलिखित शर्तें सुनाई गई थीं:

१. यह संभव है कि मैं पकड़ा जाऊँ । ऐसा हो तो भी टुकड़ीको अपनी कूच जारी रखना है। और जब तक वे खुद न पकड़े जायें तबतक उन्हें चलते ही रहना है। रास्तेमें खाने-पीने आदिका बन्दोबस्त करनेकी पूरी कोशिश होगी । लेकिन किसी कारण से यदि किसी दिन खानेको न मिले तो भी सन्तोष रखना होगा ।

२. जबतक इस लड़ाईमें शामिल हैं, शराब आदि व्यसन छोड़ने होंगे।

३. मरण-पर्यंत पीछे नहीं हटेंगे ।

४. जहाँ रास्ते में रात पड़े बहाँपर घरकी आशा नहीं रखेंगे, बल्कि घासमें पड़े रहेंगे।

५. रास्ते में पड़नेवाले पेड़-पौधोंको कोई नुकसान नहीं पहुँचायेंगे और दूसरेकी वस्तु बिलकुल नहीं छएँगे।